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PM Modi Jhabua Visit: प्रधानमंत्री का झाबुआ दौरा हुआ रद्द, गृहमंत्री अमित शाह हो सकते हैं शामिल

PM Modi Jhabua Visit Cancelled: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झाबुआ दौरा रद्द हो गया है. पीएम मोदी 11 फरवरी को झाबुआ के जनजाति सम्मेलन को संबोधित करने वाले थे. अब कहा जा रहा है कि पीएम की जगह अमित शाह इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.

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PM Modi Jhabua Visit: प्रधानमंत्री का झाबुआ दौरा हुआ रद्द, गृहमंत्री अमित शाह हो सकते हैं शामिल
Shyamdatt Chaturvedi|Updated: Feb 09, 2024, 12:09 AM IST
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PM Modi Jhabua Visit Update: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 फरवरी को होने वाला झाबुआ दौरा निरस्त हो गया है. पीएम मोदी जनजाति सम्मेलन को संबोधित करने वाले थे. इसके साथ ही वो मध्यप्रदेश से चुनाव प्रचार की शुरुआत भी करने वाले थे. लेकिन, किसी वजह से उनका झाबुआ दौरा निरस्त हो गया. अब संभावना जताई जा रही है कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गृहमंत्री अमित शाह झाबुआ आ सकते हैं.

जोरों पर थी तैयारियां
प्रधानमंत्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 11 फरवरी को पहली बार एणपी के दौरे पर आने वाले थे. पीएम मोदी यहां जनजातीय सम्मेलन को संबोधित कर भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद करते. इस दौरे को लेकर बीजेपी, प्रशासन और सरकार तीनों ही जोरों से तैयारी में लगे थे. हालांकि, दौरा अचनानक रद्द हो गया है. अब इस कार्यक्रम की रूपरेखा क्यो होती इसे लेकर कोई पुख्ता बात अभी सामने नहीं आई है.

अमित शाह आ सकते हैं झाबुआ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के रद्द दोने के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी के स्थान पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, अभी इस संबंध में कोई अधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है.

11 जनवरी को होना था दौरा
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा ने कमर कस ली है. इसीक्रम में 11 फरवरी को आदिवासी बहुल इलाके झाबुआ में जनजाति सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें पीएम मोदी को आमंत्रित किया गया था. इसके पीछे बीजेपी की लोकसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर बढ़त बनाने की कोशिश थी.

सत्ता की चाबी है आदिवासी
प्रदेश में आदिवासी वोटर्स की संख्या 22 प्रतिशत के करीब है. 29 सीटों में से 6 लोकसभा सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. अभी तो सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है. प्रदेश की 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है. वहीं कुल 78 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी वोटर जिताने-हराने की ताकत रखते हैं. यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस उनको साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. 

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