Sehore News: एमपी के सीहोर से अजब गजब मामला सामने आया है. यहां के स्कूली बच्चे लंच तो स्कूल में करते हैं लेकिन पानी पीने के लिए उन्हें श्मशान का रास्ता तय करना पड़ता है. पढ़ने में यह खबर आपको अजीब जरूर लगेगी लेकिन स्कूल की यह हकीकत यहां की शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन पर कई बड़े सवाल खड़े करती है. स्कूल की इस बदहाली पर पंचायत और पीएचई विभाग में कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन इस असुविधा को सुविधा में अब तक बदला नहीं जा सका है.
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला सीहोर जिले के बिजौरा गांव का है. इस गांव के बच्चे पानी पीने के लिए आधा किलोमीटर का रास्ता तय करते हैं. हैरानी की बात तो यह है कि यह पूरा रास्ता उन्हें किसी दूसरे शहर या फिर जिले की तरफ ना ले जाकर श्मशान की ओर ले जाता है. बच्चों के इस संघर्ष के पीछे का कारण है हैंडपंप. जिस स्कूल में यह बच्चे पढ़ने जाते हैं, वहां हैंडपंप तो है लेकिन कई महीनों से खराब पड़ा है और स्कूल में पीने के पानी के लिए कोई दूसरी व्यवस्था भी नहीं है. स्कूल में हैंडपंप के अभाव से यहां के छात्र मजबूरन श्मशान में पानी पीने जाते हैं.
श्मशान में ही पूरी होती हैं पानी की जरूरतें
श्मशान, जिसका नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं, सोचिए उस जगह पर पानी की जरूरतों को पूरा किया जाता है. पानी पीने से लेकर खाने के बर्तन भी श्मशान में ही धोए जाते हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल में हैंडपंप नहीं है. हैंडपंप के होने के बावजूद भी उसका सही ढंग से काम करना बुनियादी सुविधाओं में गिना जाता है. करीब छह महीने से हैंडपंप खराब होने की वजह से पानी की जरूरतें श्मशान में पूरी की जा रही हैं. इससे भी हैरानी की बात यह है कि बरसात के मौसम में श्मशान में आना-जाना खतरे से खाली नहीं माना जाता है, क्योंकि एक तो वहां पानी भर जाता है दूसरा जंगली जानवरों और जीवों का खतरा भी रहता है.
बच्चे से बड़े श्मशान जाने को मजबूर
मामला तब गंभीर बन जाता है जब यहां के स्कूल के हर उम्र के बच्चे को श्मशान जाना पड़ता है. स्कूल परिसर में आंगनवाड़ी और पंचायत भवन भी हैं. जिसकी वजह से यहां पानी की समस्या हर किसी के लिए सामान्य बनी हुई है. आंगनवाड़ी के छोटे बच्चे भी श्मशान में लगे हैंडपंप से पानी पीने जाते हैं. लेकिन सवाल यह है कि पंचायत और पीएचई विभाग में की गई शिकायतों का हल कब तक देखा जा सकेगा. कब तक यहां के बच्चे पानी के लिए श्मशान में भटकते रहेंगे.
सोर्स: दैनिक भास्कर