Shajapur Madhya pradesh: मध्य प्रदेश में एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं. एमपी के शाजापुर में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर उसे तुरंत पास के सरकारी अस्पताल ले जाया गया. वहां महिला की हालत गंभीर बताकर उसे जिला अस्पताल ट्रांसफर करने का कहा गया, लेकिन वहां न तो कोई सुविधा थी न ही वक्त पर कोइ डॅाक्टर मौजूद था. यहां तक कि एंबुलेंस भी नहीं मिली, जिस कारण महिला का परिवार महिला को लेकर अस्पताल में ही दो-तीन घंटे लगातार भटकने को मजबूर हो गया.
108 न. एबुलेंस को बुलाया गया
यह मामला शाजापुर के मदाना गोशाला का है, जहां सोमवार को 10 बजे सुबह महिला को तेज दर्द शुरु हुआ , जिसके बाद महिला के पति नरेंद्र आदिवासी जो कि मजदूरी का काम करते है उन्होंने अपनी पत्नी नेहा के दर्द की सूचना मिलते ही तुरंत एंबुलेंस बुलाई. इसके बाद महिला को 108 एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद अस्पताल में महिला की हालत को गंभीर बताकर जिला अस्पताल भेज दिया गया, वहां भी कोई व्यवस्था वक्त पर न मिलने से महिला का परिवार भटकता रहा. गर्भवती महिला को कोई प्राथमिक उपचार नहीं मिला और न ही कोई डॅाक्टर की सुविधा.
महिला ने ऑटो में दिया बच्ची को जन्म
नरेंद्र ने पत्नी नेहा की हालत गंभीर होने पर उसे फिर गुलाना ले जाने का सोचा. इसके लिए उसे अस्पताल में एंबुलेंस नहीं मिली. इंतजार करते करते वो पत्नी को लेकर खुद ही बस से ही गुलाना के लिए निकल पड़ा. बस से निकलते ही महिला की हालत ज्यादा बिगड़ गई जिस कारण महिला की डिलीवरी लोगों ने ऑटो में ही पॉलिथीन का घेरा लगाकर करवाई. महिला ने वहां एक बच्ची को जन्म दिया. महिला की डिलीवरी ऑटो में होने के बाद गुलाना गांव के लोगों ने महिला को वहां से तुरंत गुलाना अस्पताल ले जाने का इंतजाम किया. जहां मां और नवजात बच्चे को डॅाक्टर को दिखाया. डॅाक्टर ने महिला और बच्ची की हालत स्थिर बताई. अस्पताल के डॅाक्टर ने बताया महिला को वक्त रहते हुए जिला अस्पताल में उपचार मिल जाता तो यह गंभीर स्थिति नहीं बनती.
सोर्स- पत्रिका