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MP News: मध्य प्रदेश में नई तकनीक से होगी सड़कों की रिपेयरिंग, बदल जाएगी इन 7 जिलों की किस्मत; जानें क्या होगा फायदा

MP News: मध्य प्रदेश में अब सड़कों पर हुए गड्ढों को भरे के लिए तीन नई तकनीक (New Road Repairing Technology) का इस्तेमाल होना है. इसे प्रथम चरण में 7 जिलों में लागू किया जाएगा. इसकी सबसे खास बात ये है कि इसमें हर मौसम और कम समय में रिपेयरिंग का काम हो सकेगा.

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MP News: मध्य प्रदेश में नई तकनीक से होगी सड़कों की रिपेयरिंग, बदल जाएगी इन 7 जिलों की किस्मत; जानें क्या होगा फायदा
Shyamdatt Chaturvedi|Updated: Jun 03, 2023, 10:13 AM IST
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MP News: भोपाल: मध्य प्रदेश में अब सड़कों पर हुए गड्ढों को भरे के लिए तीन नई तकनीक इंफ्रारेड रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी (Infrared Recycling Technology), जेट पेंचर तकनीक (Jet Puncture Technology), वेलोसिटी पेंचर रिपेयर तकनीक (Velocity Puncture Repair Technology) का इस्तेमाल होना है. शुरूआती तौर पर इसे 7 जिलों में लागू किया जाना है. इसमें  582 किलोमीटर सड़के रिपेयरिंग होंगी. इन तकनीकों में हर मौसम और कम समय में काम हो सकता है.

सड़क के गढ्ढे भरे जाने के लिए मध्य प्रदेश में नई तकनीक का 7 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट लोगू होने जा रहा है. यहां कि कुल 582 किलोमीटर सड़क रिपेयरिंग अब इंफ्रारेड रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी, जेट पेंचर तकनीक और वेलोसिटी पेंचर रिपेयर तकनीक से होगा. नई तकनीक के माध्यम से काम समय में होगा. सबसे खास बात की इसमें मानसून सहित सभी मौसम में काम चलता रहेगा.

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इन 7 जिलों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
योजना के पहले चरण में जिन 7 जिलों को लिया गया है इसमें ग्वालियर, मुरैना, दतिया, भिंड, भोपाल, सीहोर और रायसेन शामिल हैं. यहां पायलट प्रोजेक्ट के कामयाब होने के बाद सरकार इसे पूरे प्रदेश या अन्य जिलों में लागू करने का फैसला कर सकती है.

कहां कितने किलोमीटर में होगा काम?
- जेट पेंचर टेक्नोलॉजी से भोपाल परिक्षेत्र के भोपाल एवं सीहोर संभाग में 185 किलोमीटर सड़क के गड्ढे भरे जाएंगे
- वेलोसिटी पेंचर रिपेयर तकनीक से रायसेन और बुधनी क्षेत्र की 187 किलोमीटर सड़क के गड्ढे भरे जाएंगे
- इन्फ्रारेड रिसाइकिंग टेक्नालॉजी से ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना और दतिया जिले के 210 कि.मी. सड़कों के गड्ढे भरे जाएंगे

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मंत्री ने दिए निर्देश
मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि पुरानी तकनीक से रिपेयरिंग में ज्यादा वक्त लगता था. इसके गुणवत्ता पर भी कई खड़े किए जाते हैं. इस कारण नई तकनीक का इस्तेमाल कर अब राज्य में सड़क सुधार का काम किया जाएगा.

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