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Kheti Kisani: पुरानी फसलें छोड़, जबलपुर के किसानों ने पकड़ी नई राह, सब्जी-तरबूज की खेती से हो रहे मालामाल

Jabalpur Farmer Success Story: मध्य प्रदेश में भी खेती के क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहे हैं. यहां के किसान अब खेती में नए-नए तौर तरीके अपना रहे हैं. इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी में इजाफा हुआ है, बल्कि खेती का नजरिया भी पूरी तरह बदल गया है.  

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जबलपुर के किसानों ने पकड़ी नई राह
जबलपुर के किसानों ने पकड़ी नई राह
Manish kushawah|Updated: May 21, 2025, 03:11 PM IST
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MP Agriculture News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में खेती में धीरे-धीरे बदलाव हो रहे हैं. यहां के किसान अब पारंपरिक खेती के तरीकों को पीछे छोड़कर आधुनिक तकनीकों और बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए नई तरह की फसलें उगाने लगे हैं. अनाज और दलहन जैसी पारंपरिक फसलों की जगह अब सब्जी, फल और औषधीय फसलों की खेती पर जोर दिया जा रहा है. इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी में इजाफा हुआ है, बल्कि खेती का नजरिया भी पूरी तरह बदल गया है. किसानों की मेहनत और समझदारी का ही नतीजा है, कि अब कम जमीन में भी ज्यादा मुनाफा कमाया जा रहा है.

इस बदलाव का असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर साफ नजर आने लगा है. अब तक जो किसान सिर्फ गेहूं, चना, धान और अरहर तक सीमित थे, वे अब मिर्च, शिमला मिर्च, लौकी, तरबूज, बैंगन और धनिया जैसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. यह न केवल उन्हें अच्छी कीमत दिला रहा है बल्कि बाजार में उनके उत्पादों की मांग भी बढ़ी है. इससे गांवों में खेती को लेकर एक नई सोच उभर रही है, जिसमें परंपरा और तकनीक का संतुलन नजर आता है.

अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे
पाटन के शहपुरा ब्लॉक के नटवारा गांव के किसान शेख रुस्तम ने इस बदलाव की मिसाल पेश की है. उन्होंने स्वीट कॉर्न, मूंग और उड़द जैसी फसलों के साथ-साथ लौकी और धनिया की अंतरवर्तीय खेती शुरू की है. उनकी यह मिलीजुली खेती साल भर एक स्थिर कमाई देती है और उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षित रखती है. वहीं, सुनाचर गांव के यशपाल लोधी ने 9 एकड़ खेत में ग्राफ्टेड बैंगन की खेती की और जून 2024 में पौधे लगाने के बाद उन्हें प्रति पौधा औसतन 20 किलो बैंगन की उपज मिली. फिलहाल, उनके पौधों में दोबारा फूल आ रहे हैं, जिससे वे फिर से अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे हैं.

खेती की तरफ मजबूत कदम
खेती में आए इस सकारात्मक बदलाव को कृषि विशेषज्ञ भी सराह रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह के मुताबिक, फसल विविधता सिर्फ कमाई ही नहीं बढ़ाती, बल्कि मिट्टी की सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है. जब किसान अलग-अलग फसलें लगाते हैं, तो मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बेहतर बना रहता है, जिससे भूमि की उपज क्षमता भी लंबे समय तक बनी रहती है. उनका मानना है कि किसानों का यह झुकाव खेती के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है.

इन तकनीकों को अपनाएं
कृषि विभाग भी इन किसानों की पहल से काफी प्रभावित है. विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, जबलपुर के किसान अब नई तकनीकों और बाजार के हिसाब से फसलों को अपनाने में पीछे नहीं हैं. वे ड्रिप सिंचाई, ग्रीनहाउस और मल्चिंग जैसी आधुनिक विधियों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे पानी की बचत होती है और पैदावार भी बेहतर मिल रही है. विभाग किसानों को लगातार प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देकर इस बदलाव को और मजबूत करने में जुटा है.

तीन-तीन एकड़ में तरबूज 
बेलखेड़ा गांव के किसान विनय बादल ने भी इस नई सोच को अपनाकर खेती में बड़ा बदलाव किया है. उन्होंने अनाज और दलहन की परंपरागत खेती छोड़कर इस साल करीब ढाई एकड़ में शिमला मिर्च, पांच एकड़ में टमाटर, पांच एकड़ में हरी मिर्च और तीन-तीन एकड़ में तरबूज व खरबूज की खेती शुरू की है. शुरुआत में ड्रिप सिंचाई और तार-बांस की व्यवस्था में थोड़ा खर्च जरूर हुआ, लेकिन मिर्च और खरबूज की अच्छी कीमत ने लागत से ज्यादा मुनाफा दिलाया. हालांकि टमाटर और तरबूज के भाव उम्मीद से कम रहे, लेकिन इससे उन्हें अनुभव मिला और अब वे अगली बार ज्यादा फोकस शिमला मिर्च और हरी मिर्च पर करने की योजना बना रहे हैं.

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