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Ram Navami: यहां 280 साल से हो रहा है रामलला का सूर्य तिलक, जानें विदिशा की मंदिर कैसे हुई शुरुआत

Madhya Pradesh News: रामनवमी पर अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक हुआ है लेकिन बहुत कम लोगों को जानते हैं कि रायसेन गेट स्थित समर्थ रामदास मठ में ये काम पिछले 280 साल से चला आ रहा है. आज रामनवमी के पावन अवसर पर हम आपको इस मंदिर की विशेषता बताएंगे.  

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surya tilak of ramlala in vidisha shri ram temple for 280 years
surya tilak of ramlala in vidisha shri ram temple for 280 years
Zee News Desk|Updated: Apr 17, 2024, 08:52 PM IST
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Vidisha News: रामनवमी पर भगवान रामलला की नगरी अयोध्या में अलग ही माहौल रहा. रामलला का सूर्य तिलक करने की गया लेकिन बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि विदिशा के रायसेन गेट स्थित समर्थ रामदास मठ में सूर्य किरणें पहुंचाने का काम पिछले 280 साल से चला आ रहा है. आज विदिशा के मंदिरों में भगवान राम की पूजा अर्चना का आयोजन किया गया है. इस दौरान राम भक्तों में काफी उत्साह दिखा है. आइये जानें समर्थ रामदास मठ की मंदिर की विशेषता

उत्तरमुखी है श्रीराम मंदिर
समर्थ रामदास मठ में श्रीराम मंदिर उत्तरमुखी है. मंदिर के 50 फिट दूर गर्भगृह में दोपहर के ठीक 12 बजे भगवान की जन्मोत्सव आरती की जाती है. उस समय सूर्य मंदिर के ठीक ऊपर होता है. मंदिर में स्थापित श्री राम की मूर्ति तक सूर्य की किरणें पहुंचाने के लिए मंदिर से बाहर स्थित एक चबूतरे का इस्तमाल किया जाता है. वहां पर एक श्रद्धालु मंदिर के ठीक सामने एक फिट चौंड़ा और ढाई फीट लंबा दर्पण लेकर खड़ा रहता हैं. वह कांच के माध्यम से सूर्य की किरणों को अंदर तक पहुंचता है. यह क्रम करीब 12-15 मिनट तक चलता रहता है. 

दान में मिला था यह मंदिर
समर्थ रामदास मंदिर के पुजारी ने बतातया कि अयोध्या के संत राजाराम महाराज को देश भर में श्रद्धालुओं ने श्रीराम और हनुमान के 56 मंदिर बनाकर दान किए थे. जिनमें से विदिशा का श्रीराम मंदिर और जलगांव की पारोला तहसील का हनुमान मंदिर उन्होंने अपने पास रखा था.

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मंदिर का निर्माण 1745 में कराया गया था

श्रीराम मंदिर का निर्माण 1745 में कराया गया था.  बाद में संत राजाराम महाराज को दान कर दिया था. इस मंदिर में गुड़ी पड़वा से ही रामनवमी की धुम शुरू हो जाती है. यहां पर रोज शाम को 4 बजे महिला मंडल रामायण का पाठ करती है. रामनवमी के मौके पर सुबह भगवान का अभिषेक किया गया था और जन्मोत्सव आरती के पहले बधाई गीत गाया गया था.

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