Rakshabandhan: रक्षाबंधन भाई-बहन का सबसे खास त्योहार माना जाता है, जिसे भावनाओं का पर्व भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जो भाई-बहन के लिए बेहद खास माना जाता है. कहा जाता है कि अगर रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन इस मंदिर में माथा टेकते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. क्योंकि निवाड़ी जिले के ओरछा में मौजूद यह मंदिर लाला हरदौल का मंदिर है, जिन्हें हर बहन का भाई माना जाता है. मान्यता है कि अगर बहनें सच्चे मन से इस मंदिर में माथा टेककर अपने भाई से कुछ मांगती हैं तो उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. यहां रक्षाबंधन के दिन लाला हरदौल को राखी चढ़ाई जाती है.
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा में आने वाला हरदौल लाला मंदिर बुंदेलखंड का सबसे खास मंदिर माना जाता है. क्योंकि यह भाई-बहन के अटूट रिश्ते और बलिदान की मिसाल हैं, यहां खास तौर पर रक्षाबंधन और भाईदूज के दिन बहन और भाई हरदौल लाला की पूजा करने पहुंचते हैं.
मान्यता है कि है कि किसी बहन का भाई अगर दुनिया से चला जाता है तो हरदौल बाबा उन बहनों के भाई बन जाते हैं और उनकी राखी को अपनी कलाई पर स्वीकार करते हैं, यही वजह है कि यहां मंदिर में बहनें लाला हरदौल को राखी चढ़ाती हैं.
दरअसल, हरदौल लाला ओरछा के प्रसिद्ध और वीर राजा वीर सिंह जूदेव के छोटे पुत्र थे. मान्यता है कि उन्होंने अपनी बहन के सम्मान के लिए अपना बलिदान दे दिया था, जिसके बाद यहां आस्था के रूप में वह पूजे जाते हैं.
इतिहास के मुताबिक हरदौल लाला की बहन की बेटी की जब शादी हुई थी, तब बहन ने हरदौल लाला की समाधि पर उन्हें रोते हुए बुलाया था, कहा जाता है कि उन्होंने सच में आकर भांजी का मैहर भरा था और बहन को चीकट चढ़ाई थी.
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पुजारी नहीं बल्कि रक्षाबंधन के दिन बहनें खुद ही लाला हरदौल की पूजा करती हैं, महिलाएं खुद ही राखी, नारियल और मिठाई यहां हरदौल लाला को चढ़ाती हैं और उनसे अपनी मनोकामनाएं मांगती हैं.
लाला हरदौल के मंदिर की यही खासियत इसे सबसे रोचक बनाती है. यहां पर सभी बहनें लाला हरदौल की समाधि पर अपनी राखियां बांधती हैं. इस मंदिर में हर साल दूर-दूर से भाई बहन रक्षाबंधन के मौके पर आते हैं. इसलिए यहां रक्षाबंधन खास माना जाता है.