Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 5 जून को सुरक्षाबलों ने एक ऑपरेशन में नक्सली सुधाकर उर्फ नर सिंहाचलम को ढेर कर दिया, जिस पर एक करोड़ के आसपास इनाम था. सुधाकर का मारा जाना फोर्स के लिए उतनी ही बड़ी सफलता माना जा रहा है, जितनी बड़ी सफलता बसव राजू के ढेर होने पर मिली थी. क्योंकि क्सलियों का सीसी मेंबर और एजुकेशन हेड था, यानि वह नक्सलियों का टीचर माना जाता था, जिसने नक्सली शिक्षा केंद्रों का बाकयदा सिलेबस तक तैयार किया था, नक्सली सुधाकर की कहानी भी दिलचस्प है, क्योंकि वह उनका एक अहम हिस्सा था, जिसका मारा जाना नक्सल संगठनों के लिए बड़ा झटका है तो नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रही फोर्स के लिए यह बड़ी सफलता है.
नक्सलियों का बड़ा चेहरा
सुधाकर उर्फ नरसिम्हाचलम नक्सलियों के संगठन का एक बड़ा चेहरा माना जाता था, जो उम्रदराज भी था. बताया जा हा है कि बासव राजू के एनकाउंटर के बाद सुधाकर के ऊपर जिम्मेदारियां बढ़ गई थी. लेकिन वह कोई बड़ी साजिश रचता या नक्सलियों को फिर से संगठन को मजबूती देने की कोशिश करता उससे पहले ही सुरक्षाबलों ने उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया. बताया जा रहा है कि फिलहाल सुधाकर छुट्टियों पर चल रहा था, लेकिन बासव राजू के मरने के बाद वह जंगलों में वापस लौट आया था और फिर से नए सिरे से प्लानिंग बनाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन इस बार वह कुछ नहीं कर पाया.
नक्सल संगठनों के लिए बनाया था सिलेबस
बताया जाता है कि नक्सली सुधाकर ने संगठन में एजुकेशन का जिम्मा संभाल रखा था, उसने दंडकारण्य क्षेत्र में बच्चों और युवाओं का माइंड वॉश करने के लिए शिक्षा का सहारा लिया था, वह नक्सली शिक्षा केंद्रों का संचालन करवाता था, जिसके लिए उसने खुद ही पूरा सिलेबस भी तैयार कर रखा था. सूत्रों के मुताबिक सुधाकर ने सिलेबस को भी कुछ इस तरह से तैयार किया था, जिससे उसमें हिंसा झलकती थी, जैसे 'ए' से ऐके-47, बी से बम, बी से बंदूग जैसी वर्णमाला उसने तैयार की थी, ताकि बच्चों को शुरू से ही इसकी आदत डलवाई जा सके. वह लगातार पाठ्यक्रम बदलता भी रहता था, ताकि नक्सलियों की तरफ से चलाई जा रही विचारधारा को वह लगातार हर इलाके तक पहुंचाता रहे.
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हथियार उठाने की देता था सलाह
नक्सलियों के लिए सुधाकर ने जो सिलेबस तैयार किया था, उसमें उसने ऐसा सिस्टम बनाया था, जिससे जल्दी से जल्दी युवा नक्सलियों की विचारधारा के साथ हो जाए. इसके लिए वह वाकायदा नक्सलियों की कहानियां भी अपने सिलेबस में डालता था और उन्हें संघर्ष और सरकार के खिलाफ विद्रोह के रूप में दिखाता था, ताकि युवा और बच्चे उन्हें अपना हीरो माने और नक्सली विचारधारा के साथ चले. बताया जाता है कि बच्चों और युवाओं को नक्सल विचाराधारा से जोड़ने की जिम्मेदारी सुधाकर को ही मिली हुई थी, यही वजह है कि उसे नक्सल संगठन का शिक्षक भी कहा जाता है. सीनियर होने की वजह से उसे सुधाकर दादा कहते थे.
तेलंगाना का रहने वाला
सुधाकर मूल रूप से तेलंगाना का रहने वाला था, उसके बारे में यह जानकारी दी जाती है वह पढ़ा-लिखा और तेज दिमाग का था और युवा उम्र से ही नक्सल संगठन में जुड़ गया था. फिलहाल वह छुट्टी पर चल रहा था, लेकिन बासव राजू के ढेर होने के बाद वह छुट्टियों से लौट आया था और फिर से बस्तर में एक्टिव होने की तैयारियों में जुटा था, उसने जंगलों में एंट्री भी ले ली थी. लेकिन जैसे ही फोर्स को उसकी लोकेशन की जानकारी लगी तो तुरंत ही एक्शन शुरू हुआ. जब वह अपने सुरक्षित स्थान पर पहुंचा तो नक्सलियों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया, जिसमें सुधाकर ढेर हो गया. बताया जा रहा है कि उसके साथ और भी नक्सली थे, जिनमें से कई मौके से भाग निकले. लेकिन फिलहाल बीजापुर जिले के उस इलाके में फोर्स का नक्सली ऑपरेशन जारी है. (सोर्स दैनिक भास्कर)
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