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क्या है 'नेत्रा-2' जो बना 'लाल आतंक' का काल, नक्सलियों उनके गढ़ में ही ढेर कर रहे जवान, जारी रहेगा प्लान

Chhattisgarh Naxalism: छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने बड़ा ऑपरेशन चलाया था, जिसमें 'नेत्रा-2' का इस्तेमाल सबसे अहम साबित हुआ है. 

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Arpit Pandey|Updated: Jan 23, 2025, 11:54 AM IST
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Chhattisgarh Naxal News: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों और पुलिस ने निर्णायक लड़ाई छेड़ रखी है. बीजापुर में जवानों पर हुए हमले के बाद सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों को उनके घर में घुसकर मार रहे हैं. रविवार की रात में छत्तीसगढ़ और ओडिशा की बॉर्डर पर गरियाबंद जिले में सबसे लंबा ऑपरेशन चला था, जिसमें 16 नक्सलियों के शव मिल चुके हैं, लेकिन यहां 27 नक्सलियों के मारे जाने की बात सामने आई है, हालांकि सुरक्षाबलों की तरफ से होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ही स्थिति क्लीयर हो पाएगी, क्योंकि बताया जा रहा है कि यहां अभी और भी शव मिल सकते हैं, क्योंकि सर्चिंग चल रही है. खास बात यह है कि इस बार नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में 'नेत्रा-2' की अहम भूमिका रही है, जो नक्सलियों के लिए कॉल बनकर उभरा है. 

क्या है 'नेत्रा-2'

छत्तीसगढ़ के कुल्हाड़ीघाट-भालुडिग्गी गांव के बीच नक्सलियों के खिलाफ हुए ऑपरेशन में अब तक 16 नक्सलियों के शव मिल चुके हैं, जिसमें एक करोड़ के इनामी नक्सली कमांडर जयाराम उर्फ चलपति का शव भी शामिल है, जिसकी तलाश सुरक्षाबलों को लंबे समय से थी. ऐसे में सब यही जानना चाह रहे हैं कि इतना बड़ा ऑपरेशन कैसे सफल साबित हुआ है जिसमें चलपति जैसा कमांडर भी मारा गया. दरअसल, 'नेत्रा-2' है ड्रोन. यहां ड्रोन यानि तीसरी आंख की मदद से लगातार सुरक्षाबलों ने घने जंगल में छिपे नक्सलियों को टारगेट किया और उन्हें ढेर करते गए. ऐसे में नक्सली भाग भी नहीं पाए, क्योंकि जैसे ही वह मूवमेंट कर रहे थे, ड्रोन की मदद से उन्हें नक्सली टारगेट कर रहे थे.  

केंद्र सरकार ने उपलब्ध कराए ड्रोन 

दरअसल, छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका घने जंगलों पर एरिया है, इतने घने जंगल में नक्सलियों को खोजना अब तक आसान नहीं होता था, ऐसे में ड्रोन की सुविधा आने के बाद केंद्र सरकार ने नक्सल बैल्ट में तैनात पैरा मिलिट्री फोर्स की हर बटालियन को ड्रोन कैमरे दिए हैं. जिन्हें 'नेत्रा-2' नाम दिया गया है. यह ड्रोन की घने जंगलों में सुरक्षाबलों के सबसे बड़ा मददगार बनकर उभरे हैं. ऐसे में गरियाबंद जिले में पहाड़ियों पर फोर्स के जवान 6 ड्रोन उड़ा रहे थे. खास बात यह भी है कि ड्रोन नीचे से लेकर ऊपर तक तेजी से अपना मूवमेंट बदलते रहते हैं, जिससे इलाके में अच्छी तरह से सर्चिंग करने में पूरी मदद मिलती है. 

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2025 में ही 47 नक्सली ढेर 

'नेत्रा-2' की मदद का असर यह है कि छत्तीसगढ़ में 2025 का अभी पहला महीना ही खत्म नहीं हुआ है, लेकिन 47 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है, जिसमे 'नेत्रा-2' की भूमिका सबसे अहम रही है, क्योंकि जहां भी ऑपरेशन शुरू होता है वहां ड्रोन की मदद से घने जंगलों में छिपे नक्सलियों को भी खोज लिया जाता है और फिर सुरक्षाबल के जवान उन्हें टारगेट करते हैं. 2024 में भी 247 से ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया गया था. वहीं छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर हुए एनकाउंटर में नक्सली कमांडर चलपति भी मारा गया है, जिसकी पुष्टि ड्रोन के जरिए ही की गई थी, उस पर एक करोड़ का इनाम था. 

जॉइंट ऑपरेशन चलाया जाता है

अब तक एक समस्या यह भी थी कि छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्यों की सरकार अलग-अलग ऑपरेशन चलाती थी, लेकिन पहली बार छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र में पुलिस और सुरक्षाबल मिलकर ऑपरेशन करते हैं, जैसे गरियाबंद में हुआ, जैसे ही नक्सली छत्तीसगढ़ से निकलकर दूसरे राज्यों में एंट्री करने की कोशिश करते हैं, वहां पहले तैनात सुरक्षाबल और पुलिस उन के लिए तैयार रहते हैं, ऐसे में नक्सलियों को अब किसी भी तरफ से भागने का मौका नहीं मिलता है, जिसके चलते जॉइंट ऑपरेशन से नक्सलियों के खातमें में बहुत मदद मिल रही है. वहीं ऑपरेशन में बड़ी संख्या में जवान निकलते हैं, जिनकी संख्या 1000 तक होती है. जिससे जंगल को घेरने में भी आसानी होती है. रविवार की रात से शुरू हुआ यह ऑपरेशन तो खत्म हो गया है, लेकिन यहां सर्चिंग अभी भी जारी है, जिससे नक्सलियों की मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.  

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