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MP News: "बालू तो एक बहाना था, ढांचे को ढहाना था" जानिए इस नारे ने कैसे कार्य सेवकों में भर दिया जोश

Datia News: सुंदर गोस्वामी ने अयोध्या राम मंदिर के बारे में बात करते हुए बताया कि सरयू तट पर जयभान सिंह पवैया ने कार्य सेवकों की बैठक ली थी. उन्होंने कहा था एक मुट्ठी बालू लाना है.  

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MP News: "बालू तो एक बहाना था, ढांचे को ढहाना था" जानिए इस नारे ने कैसे कार्य सेवकों में भर दिया जोश
Zee News Desk|Updated: Jan 13, 2024, 10:19 PM IST
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मनोज गोस्वामी/दतिया: यह कहानी 6 दिसंबर 1992 की है. जब रामलला के ऊपर बना विवादित ढांचा ढहाया गया था. इस कार्य सेवा में दतिया जिले के तत्कालीन बजरंग दल के संयोजक सुंदर गोस्वामी थे. सुंदर गोस्वामी ने अयोध्या राम मंदिर के बारे में बात करते हुए बताया कि सरयू तट पर जयभान सिंह पवैया ने कार्य सेवकों की बैठक ली थी. उन्होंने कहा था एक मुट्ठी बालू लाना है. रामलला मंदिर में ले जाना है. जब दतिया के कार्य सेवकों ने सुंदर गोस्वामी से पूछा बैठक में क्या हुआ? तो उन्होंने कार्य सेवकों को बताया एक मुट्ठी बालू ले जाना है, ढांचे को ढहाना है.

नारे ने भरा जोश
उन्होंने नारे को बदल दिया था. कार्य सेवकों में जोश आ गया और अन्य कार्य सेवकों के साथ वह भी अयोध्या के मंदिर में पहुंच गए. दतिया की टोली किसी से पीछे नहीं थी. इसका नेतृत्व सुंदर गोस्वामी कर रहे थे. उन्होंने बताया कि मंदिर की सुरक्षा के लिए लगाई रेलिंग हम लोगों के औजार बन गए थे. और फिर क्या था पल भर में ढांचे को ढहा दिया. दतिया वालों का सौभाग्य यह भी है कि हमारे साथ कार्य सेवकों ने स्वयं रामलला की मूर्ति को अपने हाथों से स्पर्श कर विराजमान करवाया था. सुंदर गोस्वामी ने आगे कहा कि, आज हमारा स्वप्न साकार हो रहा है. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किन शब्दों में साधु वाद कहूं समझ नहीं आ रहा है.

कौन हैं सुंदर गोस्वामी
सुंदर गोस्वामी बचपन से ही राम भक्त और हिंदूवादी विचारधारा के है. महीनों तक उन्होंने अपने परिवार को छोड़ अयोध्या में कार्य सेवा की और दतिया से कई बार कार्य सेवकों को ले जाकर ढांचा हटाने की कोशिश की. आखिरी बार में वह सफल रहे. आपको बता दें कि एक बार तो उनके परिवार को उनके मरने तक की जानकारी मिली थी. तब उनकी पत्नी भी बेसुध हो गई थी. सुंदर गोस्वामी अपने परिवार में तीन बहनों में एक भाई है.और उनके स्वयं 6 संताने हैं. जिनमें तीन लड़की एक लड़का है. इनके ऊपर रामलला के साथ अपने परिवार की भी बड़ी जिम्मेदारी थी.

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अयोध्या में की थी मजदूरी
सुंदर गोस्वामी परिवार को छोड़कर सिर्फ रामकाज में लगे रहते थे, और पूरे जिले में प्रचार प्रसार और रथ चलाकर ले जाते थे. उन्होंने अयोध्या में रामलला के लिए मजदूरी भी की थी. और लगभग 1 साल तक वह अयोध्या में रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने कई बार मंदिर में घुसपैठ भी की थी. लेकिन अब वह 22 जनवरी को हो रहे मंदिर निर्माण के साथ रामलला की स्थापना से बहुत ही खुश हैं.

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