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उज्जैन में इस दिन शुरू हो रही पंचकोशी यात्रा, भगवान के बल पर तपती गर्मी में 118 KM नंगे पांव चलेंगे श्रद्धालु

Panchkoshi Yatra Ujjain 2025: महाकाल की नगरी उज्जैन में 23 अप्रैल से पंचकोशी यात्रा की शुरुआत हो रही है. 118 किमी इस लंबी यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान से बल प्राप्त कर नंगे पांव चलेंगे. इस दौरान इन्हें 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा.

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पंचकोशी यात्रा
पंचकोशी यात्रा
Shubham Kumar Tiwari|Updated: Apr 21, 2025, 03:50 PM IST
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Ujjain Panchkoshi Yatra Starting Date: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में वैशाख माह की प्रचंड गर्मी में पंचकोशी यात्रा शुरू होने या रही है. इस यात्रा की शुरुआत 23 अप्रैल से होगी और यह 28 अप्रैल तक चलेगी. जो देवों के देव महादेव के 5 प्रसिद्ध मंदिरों से होकर गुजरेगी. यह पंचकोशी यात्रा 118 किलोमीटर की होगी. भीषण गर्मी की परवाह किए बिना, हजारों भक्त नंगे पैर, सिर पर अपनी आवश्यकता की सामग्री रखकर यह कठिन यात्रा करेंगे. इस दौरान श्रद्धालु भगवान शिव के पांच प्रमुख मंदिरों के दर्शन करेंगे। आइए जानते हैं इस प्राचीन और महत्वपूर्ण यात्रा के धार्मिक महत्व के बारे में...

पंचकोशी यात्रा का इतिहास
उज्जैन में वैशाख मास के दौरान होने वाली पंचकोशी यात्रा का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. जिस प्रकार माघ और कार्तिक मास का धार्मिक महत्व है, उसी प्रकार वैशाख मास में किए गए दान, पुण्य और स्नान का भी विशेष महत्व है. पुराणों में भी वैशाख मास में स्नान के महत्व का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस पवित्र महीने में दान-पुण्य या स्नान नहीं कर पाते हैं, वे इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होकर अथवा यात्रा के अंतिम पांच दिनों में स्नान करके पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं. यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु इस आध्यात्मिक यात्रा में भाग लेने के लिए उज्जैन पहुंचते हैं. हालांकि, इस यात्रा की शुरुआत कब हुई, इसका कोई निश्चित उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन विद्वानों का मानना है कि यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है.

पंचकोशी यात्रा का केंद्र उज्जैन
महाकाल की नगरी उज्जैन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. प्राचीन अवंतिका नगरी चौकोर आकार में बसी हुई है और इसके विभिन्न कोणों पर स्थित शिव मंदिर इसके द्वारपाल माने जाते हैं. पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्वकेश्वर, उत्तर दिशा में दुर्देश्वर और नीलकंठेश्वर महादेव इन पांच प्रमुख मंदिरों की दूरी लगभग 118 किलोमीटर है. पंचकोशी यात्रा के दौरान श्रद्धालु इन्हीं पांचों शिव मंदिरों की परिक्रमा करते हैं और पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान करते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस यात्रा को पूर्ण करने वाले भक्तों को 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

नारियल अर्पित करने से प्राप्त होता है घोड़े जैसा बल
जानकारी के मुतबाकि, पंचकोशी यात्रा की शुरुआत पटनी बाजार स्थित प्राचीन श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर से होती है. यहां श्रद्धालु भगवान से यात्रा को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए आशीर्वाद और शक्ति मांगते हैं, मान्यता है कि इस मंदिर में नारियल अर्पित करने से यात्रियों को घोड़े के समान बल प्राप्त होता है. उज्जैन को 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है और यह संभव नहीं है कि एक सामान्य मनुष्य अपने जीवनकाल में सभी के दर्शन कर सके. इसलिए, इस पवित्र नगरी की परिक्रमा करने मात्र से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है. भीषण गर्मी में नंगे पैर चलने की यह तपस्या शरीर के विकारों को भी दूर करती है. अमावस्या के दिन यात्रा पूर्ण होने के पश्चात, श्रद्धालु पुनः भगवान महाकालेश्वर के दर्शन करते हैं और उन्हें मिट्टी के घोड़े अर्पित कर अपनी शक्ति वापस लौटाते हैं. इसके बाद वे अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी स्थानीय धार्मिक मान्यताओं और लोक आस्थाओं पर आधारित है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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