बिलासपुर: जहां पारम्परिक वाद्य यंत्र नगाड़ा अब विलुप्त होने के कगार पर आ चुका है. होली पर नगाड़ा बेचने वाले व्यापारी भी डोंगरगढ व खैरागढ़ से पहुंच चुके है. नगाड़ा व्यापारी ने बताया कि हम लोग यहा 25 से 30 सालों से आ रहे है. अब पहले जैसा नगाड़ा नहीं बिकता है. लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे है. हमारे यहां नगाड़ा 150 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक है. अब नगाड़ा कोई नहीं खरीदता है. देखिए VIDEO
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