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'मराठी में बोलो, हिन्दी...' मुंबई में बीच सड़क पर ऑटो ड्राइवर से गाली-गलौज, ओला और उबर ड्राइवर में डर का माहौल!

Language Row: महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. ताजा मामला नवी मुंबई से सामने आया है, जहां एक मुस्लिम ऑटो ड्राइवर से मराठी नहीं बोलने पर बदसलूकी की गई.

'मराठी में बोलो, हिन्दी...' मुंबई में बीच सड़क पर ऑटो ड्राइवर से गाली-गलौज, ओला और उबर ड्राइवर में डर का माहौल!
Md Amjad Shoab|Updated: Jul 14, 2025, 06:48 PM IST
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Hindi and Marathi language controversy: महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताज़ा मामला नवी मुंबई के उरण क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक मुस्लिम ओला ड्राइवर के साथ कुछ लोकल ऑटो चालकों ने बदसलूकी की. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ ऑटो ड्राइवर्स को एक ओला चलाने वाले से गाली-गलौज करते हुए और मराठी बोलने का दबाव बनाते हुए देखा जा सकता है.

पीड़ित ड्राइवर मोहम्मद हबीब शेख, मुंबई के मानखुर्द इलाके के रहने वाले हैं. हबीब के मुताबिक, 12 जुलाई को वह गोरेगांव से एक सवारी लेकर उरण गया था. वापसी में जब उसे वाशी के लिए ओला का भाड़ा मिला तो उसने उसे स्वीकार कर लिया, क्योंकि खाली गाड़ी लेकर मुंबई लौटने पर फ्यूल का खर्च आमदनी से ज़्यादा हो जाता.

'मराठी में बोलो'

लेकिन उरण में कुछ ऑटो ड्राइवर्स ने उसका रास्ता रोक लिया और कहा कि 'तुम यहां से भाड़ा नहीं बिठा सकते, यहां केवल हम लोग सवारी लेंगे.' इस दौरान न सिर्फ़ गाली-गलौज की गई बल्कि उससे जबरन मराठी में बात करने को भी कहा गया. वीडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि एक शख्स कह रहा है, 'मराठी में बोलो, हमें हिंदी समझ नहीं आती.'

 जब ड्राइवर पुलिस थाने पहुंचा

हालांकि के बात वो हिंदी में बोल रहा था, स्थिति बिगड़ती देख हबीब ने अपने पैसेंजर को बीच रास्ते में ही उतार दिया.  जब वह पुलिस थाने अपनी शिकायत लेकर पहुंचा तो, हबीब के मुताबिक, उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया. इस मामले में जब नवी मुंबई के डीसीपी प्रशांत मोहिते से बात की गई, तो उन्होंने कहा, 'पुलिस पीड़ित ड्राइवर से कॉन्टैक्ट कर रही है, बयान दर्ज होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.'

ओला और उबर ड्राइवर में डर का माहौल

पीड़ित हबीब के मुताबिक अब कई ओला और उबर ड्राइवर उरण की सवारी लेने से डरने लगे हैं. उनका मानना है कि अगर वे उरण से वापसी में किसी पैसेंजर को बैठाएंगे, तो उनके साथ भी बदसलूकी हो सकती है. और अगर वे खाली गाड़ी लेकर लौटते हैं, तो आमदनी के मुकाबले खर्च ज़्यादा होगा.

यह मामला सिर्फ़ भाषा विवाद का नहीं, बल्कि आजीविका और आपसी सम्मान का भी है. ज़रूरत है कि प्रशासन और समाज मिलकर ऐसी घटनाओं को रोके, ताकि हर व्यक्ति भाषा, धर्म या क्षेत्र से परे सुरक्षित और समान  महसूस कर सके.

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