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अमरनाथ ही नहीं इस राज्य में भी बर्फ से बनता है शिवलिंग, 11 हजार फीट की ऊंचाई पर होता है ये चमत्कार

Anjani Mahadev Temple: पूरे देश में आज महाशिवरात्रि की धूम है. इस अवसर पर हम बताने जा रहे हिमाचल प्रदेश की मनमोहक वादियों में बसे अंजनी महादेव मंदिर के बारे में. यहां प्रकृति हर साल स्वयं भगवान शिव की आराधना करती है.

 अमरनाथ ही नहीं इस राज्य में भी बर्फ से बनता है शिवलिंग, 11 हजार फीट की ऊंचाई पर होता है ये चमत्कार
Abhinaw Tripathi |Updated: Feb 26, 2025, 05:31 PM IST
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Anjani Mahadev Temple: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि की धूम है. देशभर के शिवालयों में भक्त दर्शन करने उमड़ रहे हैं. इस अवसर पर हम बात करने जा रहे हैं हिमाचल प्रदेश की मनमोहक वादियों में बसे अंजनी महादेव मंदिर के बारे में. प्रकृति हर साल स्वयं भगवान शिव की आराधना करती है. बाबा अमरनाथ की तरह ही मनाली में भी बर्फ से बनने वाला शिवलिंग लगभग 20 से 30 फीट ऊंचा होता है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और चमत्कार का प्रतीक बन गया है. इसी कारण इसे 'मिनी अमरनाथ' भी कहा जाता है. यह पवित्र स्थल अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक शक्ति से भक्तों और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है. 

प्रदेश को कहा जाता है देवभूमि
हिमाचल प्रदेश को 'देवभूमि' कहा जाता है. यहां की हर घाटी, पर्वत और नदी में ईश्वरीय आभा समाई हुई है. बाबा अमरनाथ की तरह ही मनाली में बनने वाला बर्फीला शिवलिंग इस देवभूमि की दिव्यता का एक अद्भुत प्रमाण है. 11 हजार फीट की ऊंचाई पर, मनाली की सोलंग घाटी से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंजनी महादेव मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां प्रकृति हर साल एक चमत्कारिक शिवलिंग का निर्माण करती है. जिस तरह अमरनाथ की गुफा में बर्फ से शिवलिंग बनता है, ठीक उसी तरह अंजनी महादेव मंदिर में भी हर वर्ष सर्दियों में एक विशाल शिवलिंग प्राकृतिक रूप से आकार लेता है. इसकी ऊंचाई मौसम के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है. इस वर्ष भी यह लगभग 20 से 30 फीट ऊंचा शिवलिंग भक्तों को अपनी दिव्यता का अनुभव करा रहा है.

क्या है मान्यता
मान्यता है कि त्रेता युग में 7 हजार वर्षों तक माता अंजनी ने इसी स्थान पर भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, ताकि उन्हें एक दिव्य पुत्र की प्राप्ति हो. उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए और माता अंजनी को वरदान दिया, जिससे उन्हें हनुमान जी के रूप में एक परम शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति हुई. इसलिए इस स्थान का नाम अंजनी महादेव पड़ा.  इस शिवलिंग की एक और अनूठी विशेषता है कि यहां एक प्राकृतिक झरना पूरे साल 24 घंटे शिवलिंग का जलाभिषेक करता रहता है. यह दृश्य देखने लायक होता है. जहां बिना किसी मानवीय प्रयास के प्रकृति स्वयं भगवान शिव की पूजा करती है. मान्यता ये भी है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. अंजनी महादेव के दर्शन नंगे पांव चलकर किए जाते हैं। पर्यटक और श्रद्धालु शिवलिंग तक पहुंचने के लिए 500 मीटर की दूरी नंगे पांव तय करते हैं. 

बाबा ने बताई ये बात
बीते 22 वर्षों से यहां रह रहे बाबा फुलटुन ने मीडिया को बताया कि बाबा प्रकाश पुरी ने इस स्थान की खोज की थी. उन्होंने ही अपनी दिव्य दृष्टि से इस स्थान की महत्वता को बताया था. माता अंजनी ने यहां पुत्र प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी.  मैंने अपने जीवनकाल में इस शिवलिंग को 40 फीट तक ऊंचा बनता देखा है, इस वर्ष इसकी ऊंचाई करीब 30 फीट है. आगरा से यहां आए संकल्प ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि यहां आकर बहुत अच्छा लगा. हल्की बर्फबारी हो रही है. इन दिनों दूसरे राज्यों से पर्यटक भी भारी संख्या में भगवान के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. हम सभी जानते हैं कि अमरनाथ की तरह ही यहां भी बर्फ से शिवलिंग बनता है. मैंने यहां से पहले बाबा अमरनाथ की भी यात्रा की हुई है. अब यहां अंजनी महादेव के भी दर्शन कर लिए हैं. यह एक यादगार अनुभव है. 

क्या बोले दर्शनार्थी
वहीं सहारनपुर के निवासी शुभम ने बताया कि यह प्राकृतिक रूप से बना शिवलिंग है. यहां प्राकृतिक झरना इस शिवलिंग का जलाभिषेक भी कर रहा है, जोकि प्रकृति का ही कमाल है. लखनऊ से यहां पहुंचे सुशांत का कहना है कि वे अपने दोस्तों के साथ मनाली घूमने के लिए आए हैं. अंजनी महादेव के बारे में सुना था कि यहां भगवान के दिव्य दर्शन होते हैं, इसलिए महादेव के दर्शन के लिए हम यहां पहुंचे हैं. यहां पहुंचना बेशक कठिन है, लेकिन भगवान के दर्शन के आगे यह कुछ भी नहीं है. (आईएएनएस)

--आईएएनएस

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