Major Stampede Incidents in India: IPL में 18 साल बाद मिली RCB पहली जीत के बाद बुधवार को बेंगलुरु में विजय जुलूस निकाला गया, जिसमें क्रिकेट प्रेमियों की भीड़ बेकाबू हो गई. इस दौरान मची भगदड़ से 11 लोगों की मौत हो गई और 33 घायल हो गए. कर्नाटक सरकार ने घटना पर दुख जाहिर करते हुए मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा और घायलों का मुफ्त इलाज करवाने की घोषणा की है. इस घटना के बाद राज्य में राजनीति भी तेज हो गई है. जब पत्रकारों ने सीएम सिद्धारमैया से इस बारे में सवाल किए तो मुख्यमंत्री ने कहा कि 'भगदड़ का बचाव नहीं किया जा सकता, महाकुंभ में भी तो भगदड़ हुई थी'.
उनकी इस बात पर कोई टीका-टिप्पणी किए बिना आज हम भारत में हुई भगदड़ की उन बड़ी घटनाओं के बारे में बताते हैं, जिसमें बड़ी तादाद में जनहानि हुई थी. इनमें से अधिकतर दुखद घटनाएं धार्मिक आयोजनों, मंदिरों, और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर हुईं. ऐसी ही कुछ प्रमुख घटनाओं का ब्योरा हम आपको नीचे देने जा रहे हैं.
देश में भगदड़ की हुई बड़ी घटनाएं
हाथरस, उत्तर प्रदेश (2 जुलाई 2024)
नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची. इस घटना में 121 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. सैकड़ों लोग घायल हुए.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (15 फरवरी 2025)
महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों के इंतजार में प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर भारी भीड़ जमा हुई. रात करीब 9:55 बजे भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए. प्लेटफॉर्म बदलने और अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन को इसका कारण माना गया.
महाकुंभ, प्रयागराज (29 जनवरी 2025)
मौनी अमावस्या के अवसर पर पवित्र स्नान के लिए संगम क्षेत्र में लाखों तीर्थयात्रियों की भीड़ के कारण भगदड़ मची. इस घटना में कम से कम 30 लोगों की मौत की पुष्टि हुई और कई अन्य घायल हुए.
मंधारदेवी मंदिर, महाराष्ट्र (जनवरी 2005)
सतारा जिले के वाई शहर में मंधारदेवी मंदिर में सीढ़ियों पर फिसलन के कारण भगदड़ मची. इस हादसे में 265 से 340 श्रद्धालुओं की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए.
चामुंडा देवी मंदिर, राजस्थान (सितंबर 2008)
नवरात्रि के दौरान जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 250 लोगों की मौत हुई. भारी भीड़ और संकरे रास्ते इसके मुख्य कारण थे.
नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश (2008)
धार्मिक सभा के दौरान भगदड़ मचने से 162 लोगों की जान चली गई. भीड़ प्रबंधन की कमी इसकी वजह थी.
वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर (1 जनवरी 2022)
नए साल के मौके पर भारी भीड़ के कारण मंदिर में भगदड़ मची, जिसमें 12 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए.
रतनगढ़ मंदिर, मध्य प्रदेश (13 अक्टूबर 2013)
नवरात्रि के दौरान दतिया जिले में एक नदी के पुल के टूटने की अफवाह से भगदड़ मची, जिसमें 115 लोग मारे गए, जिनमें 30 बच्चे शामिल थे.
कुंभ मेला, नासिक, महाराष्ट्र (27 अगस्त 2003)
सिंहस्थ कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ मचने से 39 लोग मारे गए और लगभग 140 घायल हुए.
हर-की-पौड़ी घाट, हरिद्वार (8 नवंबर 2011)
गंगा नदी के तट पर धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 20 लोगों की मौत हुई.
पटना, बिहार (19 नवंबर 2012)
छठ पूजा के दौरान गंगा नदी के तट पर अदालत घाट पर एक अस्थायी पुल के ढहने से भगदड़ मची, जिसमें 20 लोग मारे गए.
इंदौर, मध्य प्रदेश (31 मार्च 2023)
रामनवमी के अवसर पर एक मंदिर में हवन के दौरान एक प्राचीन बावड़ी का स्लैब ढहने से 36 लोगों की मौत हुई.
राजमुंदरी, आंध्र प्रदेश (14 जुलाई 2015)
पुष्करम उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर भगदड़ मचने से 27 तीर्थयात्रियों की मौत हुई और 20 अन्य घायल हुए.
तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश (जनवरी 2025)
मुफ्त दर्शन पास के लिए भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची, जिसमें 6 लोग मारे गए और 35 घायल हुए.
क्यों हुईं भगदड़ की ये घटनाएं?
अधिकांश भगदड़ की घटनाएं धार्मिक आयोजनों, मेलों, या रेलवे स्टेशनों पर अपर्याप्त प्रबंधन और संकरे रास्तों के कारण हुईं. कुछ मामलों में, जैसे रतनगढ़ मंदिर में, पुल टूटने की अफवाह ने भगदड़ को बढ़ावा दिया.संकरे रास्ते, फिसलन वाली सीढ़ियां और अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था इन हादसों के प्रमुख कारण रहे. इन घटनाओं से सबक लेते हुए सरकारें अब सभी बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन का इंतजाम करने लगी हैं लेकिन एकाएक उमड़ने वाली भारी भीड़ की वजह से उसकी योजनाएं कई बार टूट जाती हैं.
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