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'भगवा आतंकवाद' का नैरेटिव फेल, मालेगांव धमाका मामले के सारे आरोपी बरी, फैसले पर सेलेक्टिव नजरिए का विश्लेषण

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए ब्लास्ट के केस में कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा, 'जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई, ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. धमाका हुआ लेकिन ये साबित नहीं हुआ कि बम बाइक में था, मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी और कर्नल ने बम बनाया.

'भगवा आतंकवाद' का नैरेटिव फेल, मालेगांव धमाका मामले के सारे आरोपी बरी, फैसले पर सेलेक्टिव नजरिए का विश्लेषण
Shwetank Ratnamber|Updated: Jul 31, 2025, 11:07 PM IST
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India court acquits all seven in 2008 Malegaon blast case: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने मनमाने फैसलों और अपने परिवार के लाभ के लिए दोस्तों को दूर कर दिया है. टैरिफ के नाम पर ट्रंप ने जो लड़ाई छेड़ी है उससे अमेरिका दुनिया में अकेला पड़ता जा रहा है. या कहें तो अलग-थलग पड़ता जा रहा है. अब बात करते हैं उस नैरेटिव की जो सनातन को बदनाम करने के लिए गढ़ा गया था और जिन लोगों ने हिंदुओं को बदनाम करने के लिए भगवा आतंकवाद का नैरेटिव फैलाया. वो पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं. कोर्ट के एक फैसले ने भगवा आतंकवाद के फेक नैरेटिव को फेल कर दिया.

मालेगांव धमाकों की झूठी कहानी किसने रची?

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए ब्लास्ट के केस में कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. आरोपियों को बरी करते हुए आज कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई है. ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था. यह भी साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी. यह भी साबित नहीं हो सका कि कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बम बनाया था.

17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद सात आरोपी आज बरी हो गए. केस मे एक आरोपी को तो 2011 में जमानत मिल गई थी, लेकिन 6 आरोपी आठ साल तक जेल में बंद रहे और उन्हें 2017 में जमानत मिली. आज आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि मालेगांव केस में एजेंसियों ने किन्हें आरोपी बनाया जो आज बरी हो गए हैं. आप इनके नाम गौर से सुनिएगा.

सभी आरोपी बरी

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, (रिटायर्ड) कर्नल प्रसाद पुरोहित, (रिटायर्ड)  मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिलकर, सुधाकर धर द्विवेदी, समीर कुलकर्णी
और सुधाकर चतुर्वेदी.

हिंदूवादी संगठनों का जश्न

एक साध्वी और सेना के दो रिटायर्ड अधिकारी आरोपियों में ये नाम भी शामिल थे. आज कोर्ट ने जब उन्हें बरी किया तो कई संगठनों ने जश्न मनाया. ये जश्न की तस्वीरें आज कुछ लोगों को चुभ रही हैं. ये वही लोग हैं जिन्होंने एक हफ्ते पहले ही मुंबई लोकल धमाके के आरोपियों की रिहाई पर मिठाई बांटी थी और जश्न मनाया था. इन लोगों के दर्द और चुभन का विश्लेषण हम आगे करेंगे. लेकिन पहले चर्चा कोर्ट की एक टिप्पणी की. कोर्ट ने आज आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता है.

मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपियों का बरी होना और कोर्ट की ये टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि मालेगांव ब्लास्ट के बाद सलेक्टिव सोच वाले समूह ने एक नैरेटिव गढ़ा था. इस नैरेटिव को दो शब्दों के जरिए आगे बढ़ाया गया था

हिंदू आतंकवाद... भगवा आतंकवाद कांग्रेस का हिंदू सनातनी विरोधी नैरिटिव: BJP 

आज कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता. लेकिन सनातन विरोधी सलेक्टिव सोच वाली मानसिकता ने सनातन को आतंकवाद से जोड़ दिया था. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की गिरफ्तारी और दूसरे आरोपियों के सनातनवादी रुझान को देखते हुए हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़े गए. सनातन विरोधी सोच ने भगवा को आतंकवाद से जोड़ दिया.  हम आपको बताना चाहेंगे कि 25 अगस्त 2010 को यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे पी चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था.

राहुल गांधी ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान से आने वाले इस्लामिक आतंकवाद से ज्यादा बड़ा खतरा हिंदू आतंकवाद से है.

सितंबर 2010 में दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हिंदू आतंकवाद से देश को खतरा बताया था. विकीलीक्स खुलासे में ये बात सामने आई थी कि भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोशी रोमर को 2010 में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान से आने वाले इस्लामिक आतंकवाद से ज्यादा बड़ा खतरा हिंदू आतंकवाद से है.

भगवा आतंकवाद वाला नैरेटिव गढ़ रहे थे कांग्रेस के नेता: BJP

20 जनवरी 2013 को यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे ने समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद धमाके का जिक्र करते हुए हिंदू आंतकवाद शब्द का प्रयोग किया था. गृहमंत्री जिनके तहत जांच एजेंसियां आती हैं वो भगवा आतंकवाद वाला नैरेटिव गढ़ रहे थे. सोचिए ऐसे में जांच कैसी होती. आज 17 साल बाद जब कोर्ट का फैसला आया और मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी बरी हो गए तो सनातन को आतंकवाद से जोड़ने की साजिश करनेवाले सवालों के दायरे में है.

 'सनातन परंपरा को कलंकित करने का पाप'

सोचिए 'वसुधैव कुटुंबकम' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया' के महान और उदार विचार वाले सनातन को कैसे आतंकवाद से जोड़ा गया. इस सलेक्टिव सोच ने कुछ हिंसक घटनाओं को आधार बनाकर जीव हत्या को भी पाप माननेवाली हजारों साल पुरानी सनातन परंपरा को कलंकित करने वाला नैरेटिव चलाया.

हिंदू विरोधी नैरेटिव चलानेवालों की जुबान खामोश 

गुरुवार को कोर्ट के फैसले के बाद सनातन विरोधी नैरेटिव चलानेवालों की जुबान खामोश हैं. जिन तथ्यों को आधार बनाकर सनातन विरोधी नैरेटिव चलानेवालों ने हिंदू और भगवा आतंकवाद वाला नैरेटिव गढ़ा था कोर्ट ने उन्हें सबूत नहीं माना, सारे सनातन विरोधी मौन हो गए हैं. हिंदू और भगवा आतंकवाद का नैरेटिव प्रचारित करनेवाला कोई भी बड़ा चेहरा आज सामने नहीं आया. आज किसी ने ये नहीं कहा कि हमसे गलती हुई. हमने सनातन को बदनाम करने का पाप किया. काश कोर्ट के फैसले के बाद इन्हें सदबुद्धि और अपनी गलती को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने का साहस आए.

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