trendingNow12857728
Hindi News >>देश
Advertisement

Mallikarjun Kharge CM Dream: लगा कि पूरा होने वाला है सपना... तभी आया एक ट्विस्ट, अबतक भुला न पाए खड़गे

Mallikarjun Kharge: तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस में चौपाई लिखी है- 'हानि-लाभ, जीवन-मरण, जस-अपजस विधि हाथ'. इन चीजों पर इंसान का बस नहीं चलता. नेता और अभिनेता हो या आम आदमी, सबकी जिंदगी पर ये बात लागू होती है. मल्लिकार्जुन खरगे की लंबी सियासी जिंदगी का ये किस्सा ऐसा रहा कि उनके हाथ लड्डू लगभग आ तो गया लेकिन वो उसे खा न सके.

Mallikarjun Kharge CM Dream: लगा कि पूरा होने वाला है सपना... तभी आया एक ट्विस्ट, अबतक भुला न पाए खड़गे
Shwetank Ratnamber|Updated: Jul 28, 2025, 08:29 PM IST
Share

Why Kharge not become CM: राजनीति करने वाले हर शख्स का सपना होता है कि वो एक दिन मुख्यमंत्री बने. जो लोग पार्षद बन जाते हैं, वो विधायक बनना चाहते हैं, जो विधायक बन जाते हैं वो सांसद या मंत्री बनना चाहते हैं. कुल मिलाकर कुछ बन जाने की ये जो भूख होती है उससे कोई भी राजनेता अछूता नहीं होगा. ये बात कांग्रेस अध्यक्ष और गांधी परिवार के वफादार मल्लिकार्जुन खड़गे पर भी लागू होती है, जिन्होंने हाल ही में इस बात पर अफ़सोस जताया कि कांग्रेस को चुनाव जितवाने के बावजूद वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए.

35 साल पुराना किस्सा जब मेरी सारी मेहनत बेकार चली गई

विजयपुरा में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, खड़गे ने 1990 के दशक के उत्तरार्ध में राज्य में बिताए अपने समय को याद किया, जब कांग्रेस पार्टी के एक नए चेहरे ने उन्हें पीछे छोड़ दिया था. खड़गे ने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा, 'एक विधायक दल के नेता के रूप में मैंने सत्ता में आने के लिए हर संभव प्रयास किया. आखिरकार सरकार बन गई. जैसे ही हम सत्ता में आए, एसएम कृष्णा, जो सिर्फ़ चार महीने पहले ही सत्ता में आए थे, मुख्यमंत्री बन गए. मेरी सारी मेहनत बेकार चली गई. मुझे लगा कि मैंने पांच साल अथक परिश्रम किया. लेकिन जो व्यक्ति सिर्फ़ चार महीने पहले आया था, उसे मुख्यमंत्री का पद मिल गया.

किस्मत का खेल

एसएम कृष्णा 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे. खड़गे ने उनके और अन्य मुख्यमंत्रियों के अधीन एक मंत्री के रूप में काम किया, जबतक कि उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. साल 2022 में खड़गे जिन्हें व्यापक रूप से गांधी परिवार द्वारा अनुमोदित उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है वो कांग्रेस के अध्यक्ष बने और शशि थरूर के खिलाफ संगठनात्मक चुनाव में जीत हासिल की. यह व्यापक रूप से माना जाता था कि खड़गे की वरिष्ठता और योगदान के बावजूद उनकी अनुसूचित जाति की पृष्ठभूमि को दरकिनार करते हुए, एसएम कृष्णा को शीर्ष पद के लिए चुने जाने में जाति ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी. एसएम कृष्णा वोक्कालिंगा समुदाय से थे, जो कर्नाटक में ऐतिहासिक रूप से एक प्रमुख जाति रही है.

FAQ

सवाल- खरगे की पृष्ठभूमि क्या है?
जवाब-
खरगे एक दलित समुदाय के नेता हैं.

सवाल- खरगे सीएम क्यों नहीं बन पाए?
जवाब-
कर्नाटक में वोक्कालिंगा समुदाय का राजनीति में वर्चस्व रहा है. इसलिए मौका नजदीक आया लेकिन उनके नाम पर बात न बनी.

Read More
{}{}