Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर विवादों में हैं. कोलकाता के ईदगाह में ईद के अवसर पर दिए गए उनके भाषण ने सियासी पारा चढ़ा दिया है. ममता ने इस मंच से खुद को सर्वधर्म संभाव का पक्षधर बताया और मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि वे हर हाल में उनके साथ खड़ी हैं. हालांकि इसी दौरान यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में मुसलमान जो चाहे कर सकते हैं. उनके इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में तीखी बहस छिड़ गई है.
मालदा हिंसा पर क्यों नहीं पहुंचीं ममता?
ईद के अवसर पर ममता बनर्जी ने कोलकाता में मुस्लिम समुदाय को शुभकामनाएं दीं और उनके समर्थन की बात कही. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जब 27 मार्च को पश्चिम बंगाल के मालदा में सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी.. तब ममता वहां क्यों नहीं पहुंचीं? हिंसा के दौरान हिंदुओं के खिलाफ हमले हुए. लेकिन ममता ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इससे उनकी नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
हिंदुओं को क्यों नहीं मिला साथ?
ईद के मौके पर ममता ने मुस्लिम समाज को सुरक्षा और स्वतंत्रता का भरोसा दिया. लेकिन जब हिंदू समुदाय पर अत्याचार हुए तब उन्होंने इस तरह का समर्थन नहीं दिखाया. मालदा में जब एक मस्जिद के पास पटाखे फूटे तो सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. इस पर भी ममता की ओर से कोई अपील नहीं आई. उनके इस रवैये से यह साफ झलकता है कि उनकी राजनीति किस दिशा में जा रही है.
बीजेपी ने साधा निशाना
ममता बनर्जी के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी सांसद शमिक भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि ममता पश्चिम बंगाल को 'पश्चिम बांग्लादेश' बनाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ममता की नीतियां मुस्लिम घुसपैठ को बढ़ावा दे रही हैं और राज्य में सांप्रदायिक संतुलन को बिगाड़ने का काम कर रही हैं.
बंगाल में दंगों की साजिश का आरोप
अपने भाषण में ममता बनर्जी ने विपक्ष पर बंगाल में दंगे भड़काने की साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर राज्य में तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बंगाल की जनता को इस साजिश का हिस्सा नहीं बनना चाहिए. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और ममता बनर्जी अपने वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही हैं. बीजेपी ने हिंदुत्व का एजेंडा उठा लिया है तो ममता भी मुस्लिम समुदाय के समर्थन को मजबूत करने में जुटी हैं. उनके हालिया बयानों से साफ है कि उनकी राजनीति अब खुलकर तुष्टीकरण की ओर बढ़ रही है. रामनवमी जैसे हिंदू त्योहारों पर उनके रुख को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.
ममता के बदले तेवर
पश्चिम बंगाल की राजनीति में धर्म आधारित ध्रुवीकरण कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार जनता भी ममता बनर्जी की सेलेक्टिव सोच पर सवाल उठा रही है. क्या वे सभी समुदायों के लिए समान रूप से खड़ी हैं.. या फिर उनका झुकाव किसी एक तरफ ज्यादा है? इस सवाल का जवाब आने वाले चुनाव में जनता ही देगी.
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