Mani Shankar Aiyer: डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों में पाकिस्तान की झलक नजर आ रही है, तो कांग्रेस के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर की जुबान से एक बार फिर पाकिस्तान वाला बम फूटा है. मणिशंकर अय्यर की बातों को पाकिस्तान वाला बम क्यों कहा जा रहा है. ये समझने के लिए आपको कांग्रेस के इन दिग्गज का बयान गौर से सुनना चाहिए.
शायद मणिशंकर अय्यर को पहलगाम हमले में पाकिस्तान का हाथ होने पर अब भी शक है. इसी वजह से वो ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई कूटनीतिक गतिविधियों पर सवाल उठा रहे हैं और इसी एजेंडा के तहत उनकी जुबान से वैसी ही बातें निकल रही हैं जो शहबाज और मुनीर कहते आए हैं. यानी पाकिस्तान ने पहलगाम हमला कराया ही नहीं है. मणिशंकर अय्यर के इस पाकिस्तान वाले एजेंडे के सामने आते ही, विरोधियों ने एक बार फिर कांग्रेस को निशाने पर लिया है. मणिशंकर के बयान को राजनीतिक विरोधी किस चश्मे से देख रहे हैं.
#DNA | मणिशंकर ने नया 'एटम बम' किसपर फोड़ा? अय्यर की बातों वाली 'अय्यारी' के मायने क्या ?#ManiShankarAiyar #Congress @pratyushkkhare pic.twitter.com/zYY48SC1Vl
— Zee News (@ZeeNews) August 2, 2025
मणिशंकर अय्यर के बयान से कोई राष्ट्रवादी भारतीय सहमत नहीं हो सकता लेकिन इस तथ्य पर सबकी सहमति जरूर बनेगी कि जब-जब चुनाव आते हैं तो मणिशंकर अय्यर के पॉलिटिकल पिटारे से विवादित बयान निकलने शुरु हो जाते हैं. कांग्रेस के मणिशंकर की ये चुनावी हिस्ट्रीशीट आपको भी गौर से देखनी चाहिए.
मणिशंकर अय्यर के पिछले बयान
वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर सवाल उठाए थे. उन्हें सार्वजनिक मंच से चायवाला कहा था. नतीजा हुआ कि बीजेपी और एनडीए भारी बहुमत के साथ जीते. वर्ष 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. नतीजा हुआ था कि देश ने मोदी सरकार 2.0 को देखा था.
राहुल को भी नहीं बख्शा
और तो और मणिशंकर अय्यर ने अपने नेता राहुल गांधी को भी नहीं बख्शा था. वर्ष 2017 में जब राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया था, तब मणिशंकर ने कांग्रेस पार्टी में उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया की तुलना मुगल शासन से कर दी थी. इस बयान को विरोधी बीजेपी ने खूब भुनाया था. अब एक बार फिर बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, हर राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए जोर लगा रहा है लेकिन मणिशंकर अय्यर का ये बयान कांग्रेस के चुनावी सफर को बैक गियर में डाल सकता है.
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