क्या सैयारा पर अब मल्टीप्लेक्स टूटेंगे? क्या सैयारा पर सिनेमाघरों को तोड़ा जाएगा. हो सकता है आपमें से बहुत सारे लोगों ने फिल्म सैयारा देखी भी हो या देखने का प्लान बना रहे हों लेकिन ये सवाल जो आपने अभी सुना, इसे सुनकर आपको भी हैरानी हुई होगी. आप भी सोच रहे होंगे कि जिस फिल्म की धूम आजकल पूरे यूथ में है. न्यूकमर अहान पांडे और अनीत पड्डा स्टारर जिस फिल्म ने कमाई और लोकप्रियता में बड़े-बड़े स्टार को पीछे छोड़ दिया है. जिस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ एक हफ्ते में 175 करोड़ से ज्यादा कमाए हों, उसे लेकर तोड़फोड़ की नौबत कैसे आ सकती है?
आपने सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें भी देखी होगी जिसमें थियेटर में सैयारा देखकर नौजवान रो रहे हैं. इन तस्वीरों से सैयारा को लेकर यूथ की दीवानगी को समझा जा सकता है. सैयारा के इस क्रेज के बीच अब महाराष्ट्र में नया विवाद शुरू हो गया है और ये विवाद आने वाले समय में हिंसक भी हो सकता है. अब आप इसकी वजह समझिए. सैयारा एक हिंदी फिल्म है. इसके साथ ही एक मराठी फिल्म भी रिलीज हुई थी.
जिसका नाम है 'येरे येरे पैसा-3'. ये दोनों फिल्में 18 जुलाई को रिलीज हुई. इस मराठी फिल्म के प्रोड्यूसर हैं अमेय खोपकर. खास बात ये है कि अमेय खोपकर राज ठाकरे की पार्टी मनसे के नेता हैं. अब यहां से आप विवाद की वजह आसानी से समझने लगेंगे. आरोप लग रहा है कि सैयारा के क्रेज और रिकॉर्डतोड़ बिजनेस को देखते हुए मुंबई के मल्टीप्लेक्स और थियेटर मालिकों ने मराठी फिल्म 'येरे येरे पैसा 3' को प्राइम टाइम शो नहीं दिया. प्राइम टाइम शो का मतलब है कि शाम और रात 10-11 बजे तक के बीच उस फिल्म को ज्यादातर थियेटर्स ने नहीं दिखाया.
जबकि इस दौरान सैयारा खूब दिखाई गई और दिखाई जा रही है. आरोप ये भी लग रहा है कि सैयारा से कमाई के लिए मराठी फिल्म को थियेटर से बाहर कर दिया गया. मनसे नेता अमेय खोपकर ने इसी बात पर धमकी दी है. उन्होंने कहा कि अगर अगली बार ऐसा हुआ तो मुंबई में मल्टीप्लेक्स के शीशे टूटेंगे. यानी राज ठाकरे की पार्टी अब तक मुंबई में भाषा की लड़ाई सड़क-दफ्तर और दुकानों पर लड़ रही थी. अब उसका दायरा बढ़ाकर मल्टीप्लेक्स तक ले जाना चाहती है. पहले हिंदी बनाम मराठी भाषा का विवाद था, अब इस विवाद में हिंदी फिल्म बनाम मराठी फिल्म का एंगल भी आ गया है. इसके बारे में विस्तार से बात करने से पहले आपको बताते हैं कि महाराष्ट्र में मराठी फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए क्या नियम है.
महाराष्ट्र में हर मल्टीप्लेक्स को हर दिन कम-से-कम एक शो मराठी फिल्म को देना अनिवार्य है.
थियेटर में स्क्रीनिंग टाइमिंग पर कोई बाध्यता नहीं है.
मल्टीप्लेक्स प्रबंधन को छूट है कि वह शो को सुबह, दोपहर या शाम में कभी भी रख सकते हैं
नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है
मुंबई में मराठी के लिए हंगामा कर रहे MNS और शिवसेना नेता अब मराठी भाषा के नाम पर 'येरे येरे पैसा 3' के पक्ष में उतर आए हैं. इनका आरोप है कि सैयारा के लिए मराठी फिल्म को थियेटर्स से बाहर कर दिया गया. जबकि 'येरे येरे पैसा 3' का रिस्पॉन्स भी अच्छा था. मराठी-हिंदी विवाद में अभी मल्टीप्लेक्स के शीशे तोड़ने की धमकी दी गई है. इस धमकी को गंभीरता से लेने की जरूरत इसलिए है क्योंकि पहले भी भाषा विवाद में मल्टीप्लेक्स के शीशे टूट चुके हैं.
2015 में मराठी फिल्म कट्यार कालजात घुसली को मल्टीप्लेक्सेज ने प्राइम टाइम शो देने से इनकार किया था. इसे लेकर मुंबई, पुणे और नासिक में भारी हंगामा हुआ था. MNS के तोड़फोड़ के बाद कई थियेटर्स ने फिल्म को प्राइम टाइम स्लॉट दिया था.
2010 में मराठी फिल्म 'मी शिवाजी राजे भोसले बोलतोय' को स्क्रीन न देने पर मुंबई और ठाणे के कई मल्टीप्लेक्सों के बाहर MNS ने विरोध प्रदर्शन किया था. तब कुछ थिएटरों में पोस्टर फाड़े गए, गेट बंद कर दिए गए और टिकट काउंटरों पर धक्का-मुक्की हुई थी. इस विवाद के बाद महाराष्ट्र सरकार ने हर मल्टीप्लेक्स को एक शो मराठी फिल्म को देने का नियम बनाया था.
2009 में मराठी फिल्म हरीशचंद्राची फैक्टरी को मुंबई के कई थियेटर्स ने ज्यादा स्क्रीन देने से मना किया था. ये फिल्म भारत की तरफ से ऑस्कर में भेजी गई थी. इसे लेकर भी MNS ने हंगामा किया था.
आप जानते ही हैं मुंबई में आजकल मराठी सिखाओ आंदोलन चल रहा है. MNS के कार्यकर्ता जगह-जगह मराठी नहीं बोलने वाले लोगों से मारपीट कर रहे हैं. मराठी नहीं बोलने वाले लोगों की पिटाई की जा रही है. महाराष्ट्र में सिर्फ हिंदी ही नहीं दूसरी भाषाओं में लिखे दुकानों के साइनबोर्ड जबरन हटाये जा रहे हैं. दुकान मालिकों को साइनबोर्ड बदलने की धमकी दी जा रही है.
ऐसे माहौल में MNS नेता की मराठी फिल्म को थियेटर में जगह नहीं मिलना बड़ा मुद्दा बन गया है. हम सभी जानते हैं कि थियेटर्स के लिए फिल्में भाषा का नहीं कारोबार का विषय है. यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि सालभर में करीब 100 से ज्यादा मराठी फिल्में बनती हैं. इनमें से आधी ही थिएटर में रिलीज होती हैं. वहीं 200 से ज्यादा हिंदी फिल्में रिलीज होती हैं.
मराठी फिल्मों का औसतन सालाना कारोबार 100 करोड़ रुपए के आसपास है जबकि सिर्फ महाराष्ट्र में ही हिंदी फिल्में एक साल में 1200 करोड़ रुपए का कारोबार करती हैं. सैयारा ने अब तक बॉक्स ऑफिस पर 175 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया है वहीं 'येरे येरे पैसा 3' ने 78 लाख की कमाई की है.
जैसा कि हमने आपसे कहा थियेटर मालिकों के लिए फिल्म पैसा कमाने का कारोबार है और कारोबार लाभ और हानि के नजरिए से चलता है. फिलहाल सैयारा का क्रेज है तो थियेटर मालिक उसे ज्यादा स्पेस दे रहे हैं. कभी सैराट जैसी मराठी फिल्म का क्रेज था तो उसे प्राइम टाइम और ज्यादा स्क्रीन मिला था लेकिन MNS और दूसरे मराठी नेताओं के लिए ये सियासी लाभ का जरिया है. यानी ये हितों के टकराव का मामला है.
मराठी में कला और संस्कृति की समृद्ध परंपरा रही है. हर भाषा समाज को अपनी संस्कृति के विस्तार और प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन यहां ध्यान ये भी रखना चाहिए कि हिंसा और तोड़फोड़ से कला का विस्तार नहीं हो सकता है. अगर फिल्म में कंटेंट है तो वो भाषा की दीवार लांघकर सबको लुभाएगी. जैसे मराठी फिल्म सैराट के साथ हुआ.
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