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Kheer Bhawani Mela: कश्मीर का वो 'जादुई कुंड' जो हर संकट का पहले ही देता है संकेत, जानिए खीर भवानी माता की महिमा

Kheer Bhawani temple: पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में अब हालात सामान्य हो रहे हैं. इसका संकेत मिलता है आज माता खीर भवानी के मंदिर में उमड़े श्रद्धालुओं से. इस मंदिर में एक जादुई कुंड है जो किसी भी विपत्ति के आने से पहले ही एक संकेत देता है. 

mata kheer bhawani temple
mata kheer bhawani temple
Rahul Vishwakarma|Updated: Jun 03, 2025, 05:52 PM IST
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Jammu Kashmir News: तुलमुला... कश्मीर के गांदरबल जिले में मौजूद इस गांव में हर ज्येष्ठ माह की अष्टमी को कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा जमावड़ा लगता है. तुलमुला में मौजूद माता खीर भवानी कश्मीरी पंडितों की आराध्य हैं. हर साल यहां इसी प्रकार बड़ा मेला लगता है. इस मंदिर की जो महिमा है, वो अपने आप में अनूठी है. इसी वजह से देश ही नहीं, दुनिया में कहीं भी कश्मीरी पंडित होते हैं तो इस दिन यहां जरूर आते हैं. इस बार ये मेला 3 जून से शुरू हुआ है. इस बार मेले में आशंका थी कि पहलगाम हमले की वजह से कम श्रद्धालु पहुंचेंगे, लेकिन यहां उमड़ी भीड़ बताती है कि माता खीर भवानी पर उनकी आस्था अगाध है. 

आतंकवाद के दौर में भी आते रहे कश्मीरी पंडित

कश्मीर में जब आतंकवाद चरम पर था, तब भी यहां कश्मीरी पंडित आते रहे. मंदिर के पुजारियों को धमकियां मिलीं, लेकिन वे डरे नहीं. मां की सेवा करते रहे. इस मंदिर में एक 'जादुई' कुंड है. जादुई इसलिए क्योंकि कश्मीर पर जब भी कोई विपदा आती है तो इस कुंड से उसका संकेत मिल जाता है. कहा जाता है कि जब भी किसी अनिष्ट की आशंका होती है तब इस कुंड का पानी बदल जाता है. पानी का रंग आसमानी से काला या लाल हो जाता है. 

कुंड का पानी बदलने का मतलब अनहोनी

कहा जाता है कि कश्मीर में जब हिंदुओं का नरसंहार हो रहा था, उस दौर में इस कुंड का पानी अपने आप काला हो गया था. कभी कभी कुंड का पानी नीला और नारंगी भी हो जाता है. यह भी किसी न किसी प्रकार का संकेत ही होता है. करगिल युद्ध हो या अनुच्छेद 370 हटाने का समय, इस कुंड के पानी का रंग बदला है. कोविड के वक्त भी इस कुंड के पानी का रंग बदला था.

मंदिर में उमर अब्दुल्ला ने की थी आरती

यहां मेला इतने बड़े पैमाने पर होता है कि महीनों पहले से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है. 20 मई को ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खीर भवानी मंदिर आए थे. तब उन्होंने यहां माता की आरती भी की थी. उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया था. 

राग्न्या देवी की होती है आराधना

इस मंदिर में राग्न्या देवी यानी माता खीर भवानी की पूजा की जाती है. इन्हें माता दुर्गा का अवतार माना जाता है. राग्य का मतलब अनुकंपा या कृपा है. मान्यता है कि राग्न्या देवी अपने भक्तों को किसी भी संकट से उबार लेती है. इसी वजह से यहां किसी भी विपदा के आने से पहले उसका संकेत मिल जाता है. माता के मंदिर में खीर का भोग लगाया जाता है और उसे ही प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है. इसलिए देवी का नाम 'खीर भवानी' पड़ा.

फारूक अब्दुल्ला बोले- भाईचारा जिंदा है...

गांदरबल स्थितर माता खीर भवानी मंदिर पहुंचे नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अब लोगों के दिलों से डर निकल गया है. जो लोग जम्मू-कश्मीर में झगड़ा-फसाद चाह रहे थे, उन्हें करारा तमाचा पड़ा है. इस मंदिर में लगा मेला दिखाता है कि कश्मीर में भाईचारा जिंदा है. 

राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता खीर भवानी मंदिर में दर्शन के लिए आए हैं. यह एक अच्छा संकेत है. मुझे लगता है कि 22 अप्रैल को हुए उस घातक हमले के बाद पहली बार कश्मीर में एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए हैं. माता खीर भवानी जम्मू-कश्मीर के लोगों पर अपनी कृपा बरसाती रहें. वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. यात्री निवास पर निर्माण कार्य भी चल रहा है.  हमने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली हैं. यात्रियों की सुरक्षा के लिए अधिकारी सतर्क हैं. मैं पूरे भारत के तीर्थयात्रियों से अमरनाथ यात्रा के लिए आने का अनुरोध करता हूं. 

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