MNS Chief Raj Thackeray: गंगा सफाई की बात करें तो देश में बीते करीब 50 सालों से उसे निर्मल और स्वच्छ बनाने की मांग हो रही है. खासकर राजीव गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में इस विषय को लेकर काफी मंथन हुआ, लेकिन अभी तक गंगा साफ न हो सकी. 2014 से देश में गंगा को स्वच्छ करने के लिए एक डेडिकेटेड मंत्रालय बनाया गया इसके बावजूद गंगा मैली ही रह गई. हाल ही में खत्म हुए महाकुंभ के बीच भी गंगा के पानी की शुद्धता को लेकर काफी विवाद हुआ. इस पूरे एपिसोड में अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे के सुप्रीमो राज ठाकरे ने बड़ा बयान दिया है.
मनसे सुप्रीमो का विवादित बयान
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिवसीय महाकुंभ मेले के दौरान संगम में पवित्र डुबकी लगाने वालों का मज़ाक उड़ाया है. अपनी पार्टी के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने त्रिवेणी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की नकल की. आस्थावान लोगों की आस्था का उपहास करते हुए ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा, 'लोगों को अंधविश्वास से मुक्त होना चाहिए. मैं गंगा के गंदे पानी को भी नहीं छूऊंगा, जहां करोड़ों लोग स्नान कर चुके हैं.'
पवित्र डुबकी की रस्म का मज़ाक, गंगा जल का प्रसाद लेने से इनकार
राज ठाकरे ने महाकुंभ से लाया गया गंगाजल पीने से इनकार कर दिया. राज ठाकरे ने कहा कि सोशल मीडिया पर हम रोज देखते हैं कि लोग गंगा में नहाते समय खुद की साफ-सफाई करते हैं और यहां बाला नंदगांवकर मुझे वहां का वह पानी पीने के लिए दे रहे हैं... मुझे बताओ, वह पानी कौन पीएगा?
बयान पर बवाल तय!
ठाकरे ने कुंभ मेले में पवित्र डुबकी की रस्म का मज़ाक भी उड़ाया. जिसके बाद उनके बयान पर संत समाज की तीखी प्रतिक्रिया आई तो बवाल मचना लगभग तय है. राज ठाकरे ने आगे कहा, 'अंधविश्वास से बाहर निकलें. राजीव गांधी के समय से सुनते आ रहे हैं कि गंगा साफ हो जाएगी. सच्चाई है गंगा अभी साफ न हुई. देश की एक भी नदी साफ नहीं है. देश अभी कोविड महामारी से उबरा, फिर भी किसी को परवाह नहीं. सारे के सारे कुंभ मेले में डुबकी लगाने के लिए भीड़ बढ़ा रहे थे. आस्था और अंधविश्वास के बीच का अंतर समझें. अंधविश्वास से बाहर निकलें और सोचना शुरू करें.'
मनसे सुप्रीमो का तर्क
राज ठाकरे ने ये भी कहा, 'कुछ समय पहले, हमने मुंबई में मनसे पदाधिकारियों की बैठक की थी. कुछ शाखा पदाधिकारी अनुपस्थित थे. मैंने उनके बारे में पूछा तो पता चला अधिकांश कुंभ मेले में गए थे. लौटने पर मैंने पूछा - पहले पाप क्यों करते हैं? जो इसकी जरूरत पड़ती है. ठाकरे ने विदेशों में नदियों के साफ पानी के बारे में बात करते हुए कहा, 'जब हम विदेश जाते हैं, तो देखते हैं कि उनकी नदियां एकदम साफ हैं. वहां लोग नदियों को अपनी 'मां' नहीं कहते, फिर भी वे नदियां एकदम साफ हैं. जबकि हमारे देश में सारा मानव मल वगैरह और फैक्ट्रियों का जहरीला केमिकल और अन्य वेस्ट नदियों में डाल दिया जाता है.
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