Mumbai News: मुंबई के पूर्वी उपनगरों की पांच मस्जिदों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और पुलिस पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. ये मस्जिदें मुंबई पुलिस द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के उल्लंघन के आधार पर अज़ान के लिए उपयोग किए जा रहे लाउडस्पीकर हटाने के लिए जारी किए गए नोटिसों को चुनौती दे रही हैं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पुलिस ने बिना किसी स्पष्ट विवरण के, जैसे उल्लंघन की तारीख, समय या डेसिबल माप, निराधार नोटिस जारी किए हैं, जो मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्रवाई है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस रवींद्र घुगे और मिलिंद सथाये शामिल हैं. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार, मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए 9 जुलाई तक याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस विभाग राजनीतिक हितों के दबाव में मनमाने नोटिस जारी कर रहा है, जिससे जुर्माने, लाइसेंस रद्द करने और जबरन लाउडस्पीकर जब्त करने जैसी कार्रवाई की जा रही है.
अज़ान इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक अनुष्ठान
याचिकाकर्ता मस्जिदें-अंजुमन इत्तेहाद ओ तरक्की मदीना मस्जिद, हजरत शम्सुद्दीन बाबा दरगाह, मस्जिद अहल-हदीस-डब्ल्यू-मदरसा अरबिया दार-उल-हुदा, मुबारक मस्जिद और मस्जिद-ए-अक्सा ने यह भी बताया है कि अज़ान इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक अनुष्ठान है और लाउडस्पीकर के बिना इसका प्रभावी निर्वहन संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि अज़ान दिन में 6 बजे से 10 बजे तक होती है, जो केवल 2-3 मिनट की होती है, और इससे ध्वनि प्रदूषण की शिकायत करना अनुचित है.
पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई सभी धार्मिक संस्थानों पर समान रूप से लागू की जा रही है, लेकिन याचिकाकर्ता और मुस्लिम समुदाय के नेता इसे पक्षपातपूर्ण मानते है. मुंबई पुलिस ने दावा किया है कि शहर में अब सभी धार्मिक स्थानों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए हैं, जबकि याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस के पास ध्वनि मापने के लिए उपकरण और प्रशिक्षित कर्मी नहीं हैं, जिससे कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठते हैं.
9 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी, जिसमें पुलिस को अपने जवाब के साथ उपस्थित होना होगा. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता यूसुफ मुछाला और अधिवक्ता मुबीन सोलकर याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
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