अंकुर त्यागी, मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की विशेष एसीबी (ACB) कोर्ट ने शनिवार को कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन (Stock market fraud and regulatory violations) के एक मामले में पूर्व सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और SEBI के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है. इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर सबमिट करने का आदेश भी दिया है.
एसीबी कोर्ट की सख्त टिप्पणी
विशेष एसीबी अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, 'दस्तावेजों पर मौजूद कंटेट की जांच और समीक्षा करने पर समीक्षा करने पर इस कोर्ट को लगता है - 'आरोपों में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है, जिसके लिए जांच की आवश्यकता है. नियामक चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं, जिसके लिए निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है. कानून प्रवर्तन और सेबी द्वारा निष्क्रियता के कारण धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है.' एसीबी आपराधिक एम.ए.सं. 603/2024 का जिक्र भी हुआ.
#BreakingNews : मुंबई की विशेष ACB अदालत का माधवी बुच पर FIR दर्ज करने का आदेश, SEBI के टॉप अधिकारियों पर भी FIR #SEBI #Mumbai #MadhabiBuch | @malhotra_malika @Tyagiji0744 pic.twitter.com/AH2k6c23Xr
— Zee News (@ZeeNews) March 2, 2025
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल (1992) सप (1) एससीसी 335 में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए, जिसमें कहा गया कि यदि कोई शिकायत संज्ञेय अपराध का खुलासा करती है, तो FIR जरूरी है और ऐसा न करना वैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन है. कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपों की गंभीरता, लागू कानूनों और स्थापित कानूनी मिसालों को ध्यान में रखते हुए, ये कोर्ट इसे उचित मानता है.
हाल ही में पद से हटीं थी बुच
माधबी पुरी बुच का 3 साल का कार्यकाल पूरा होने पर केंद्र सरकार ने इस पोस्ट के लिए पांडेय के नाम की घोषणा की है. सेबी चीफ की जिम्मेदारी संभालने के बाद बुच का आखिरी दिन 28 फरवरी था. सेबी ऑफिस की परंपरा के अनुसार बुच को बीते शुक्रवार फेयरवेल दिया जाना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पूर्व चेयरमैन माधबी पुरी बुच को बिना फेयरवेल के ही जाना पड़ा.