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'वे तो बाहरी हैं...', मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद यूसुफ पठान पर TMC नेताओं में 'रार', चुप्पी ने छेड़ी बहस

Murshidabad Violence: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी. जिसके बाद विपक्ष लगातार ममता बनर्जी पर निशाना साध रहा है. वहीं TMC सांसद पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान की मुर्शिदाबाद से दूरी पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. 

'वे तो बाहरी हैं...', मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद यूसुफ पठान पर TMC नेताओं में 'रार', चुप्पी ने छेड़ी बहस
Abhinaw Tripathi |Updated: Apr 18, 2025, 05:04 PM IST
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Yusuf Pathan: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी. जिसके बाद पूरे देश में भूचाल मच गया. इसमें तीन लोगों की जान चली गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे. हिंसा की वजह से कई निवासियों को विस्थापित होना पड़ा. इसकी जांच भी चल रही है. इसी बीच सांसद यूसुफ पठान की अनुपस्थिति ने तृणमूल के भीतर नाराजगी पैदा की. TMC के अंदर ही उनका विरोध हो रहा है. जानिए आखिर कहा नेताओं ने. 

तीन लोकसभा क्षेत्र
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा हुई थी. इस जिले में तीन लोकसभा क्षेत्र हैं. जंगीपुर, मुर्शिदाबाद और बहरामपुर, जिनमें से तीनों का प्रतिनिधित्व क्रमशः तृणमूल कांग्रेस के सांसद खलीलुर रहमान, अबू ताहिर खान और यूसुफ पठान करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 11 अप्रैल को भड़की हिंसा ने जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र के सुती, समसेरगंज और धुलियान इलाकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. हालांकि यूसुफ पठान के निर्वाचन क्षेत्र में सीधे तौर पर कोई हिंसा नहीं हुई है, लेकिन यह इलाका उपद्रवग्रस्त इलाकों से बहुत दूर नहीं है. इसलिए, उनकी अनुपस्थिति ने न केवल विपक्ष बल्कि टीएमसी में भी कई लोगों को परेशान किया है. 

अनुपस्थिति देती है गलत संदेश
मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यूसुफ पठान की अनुपस्थिति गलत संदेश देती है. उन्होंने कहा, वह (यूसुफ पठान) बाहरी व्यक्ति हैं और राजनीति में नए हैं. ऐसे में उन्होंने दूर रहना चुना, लेकिन इससे लोगों में गलत संदेश जाता है. हमारे सांसद, विधायक और यहां तक ​​कि बूथ कार्यकर्ता भी लोगों से संपर्क कर रहे हैं. समसेरगंज में एक शांति बैठक हुई. मैं वहां पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर की यात्रा की. खलीलुर रहमान के साथ-साथ कई टीएमसी विधायक भी वहां मौजूद थे. पर वहां युसूफ पठान नहीं थे. उन्होंने आगे नाराजगी जताते हुए कहा कि कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा क्षेत्र नहीं है और यह मेरे लोग नहीं हैं और इसलिए मैं नहीं जाऊंगा. 

मतदाताओं के साथ हो रहा है खेल
टीएमसी के एक अन्य नेता और भरतपुर के एक विधायक हुमायूं कबीर ने भी पठान पर ऐसे समय में लोगों के साथ मौजूद नहीं होने पर निराशा व्यक्त की थी. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कबीर ने कहा कि पठान ने अपनी मर्जी से काम किया. उन्होंने कहा, "वह गुजरात में रहने वाले एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं. उन्होंने लोगों के वोटों से (कांग्रेस नेता) अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा चुनाव में हराया था. यह सज्जन अब मतदाताओं के साथ खेल खेल रहे हैं. वह अपनी मर्जी से व्यवहार कर रहे हैं.

क्या नहीं मिलेगा टिकट
कबीर ने यहां तक ​​कहा कि अगर पठान की भागीदारी नहीं बढ़ी, तो वह पार्टी नेतृत्व से संपर्क करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें अगली बार टिकट न मिले. यूसुफ पठान को सांसद बने लगभग एक साल हो गया है. अगर वह अपना व्यवहार नहीं बदलते और लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते, तो मैं उनके खिलाफ पार्टी के शीर्ष नेताओं से संपर्क करूंगा. मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा कि अगली बार उन्हें पार्टी का टिकट न मिले. वह ममता बनर्जी की विकास पहल का हिस्सा नहीं हैं और वह इस तरह के संकट के समय में लोगों के साथ खड़े भी नहीं हैं.

आखिरी बार कब दिखे थे पठान
यूसुफ पठान को आखिरी बार रमजान के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र में देखा गया था, जब उन्होंने कुछ इफ्तार पार्टियों में भाग लिया था, रिपोर्ट में कुछ स्थानीय लोगों का हवाला दिया गया है. पठान द्वारा अपने पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र में स्थिति को शांत करने के लिए पहल न करने पर उनकी अपनी पार्टी द्वारा आलोचना तब की गई, जब उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें वे चाय पीते हुए दिखाई दिए. जिसमें उन्होंने लिखा था कि आरामदायक दोपहर, अच्छी चाय और शांत वातावरण. बस पल का आनंद ले रहा हूं.

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