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भतीजे से सुलह कर पावर में आएंगे शरद पवार, NCP स्थापना दिवस पर रहीं नजरें, दोनों गुटों का क्या होगा विलय

Maharashtra NCP Power Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में घटनाक्रम बदल रहा है. विधानसभा चुनाव में धूल चाटने के बाद NCP और शिवसेना के गुटों में एकजुटता की कोशिशें दिख रही हैं. जहां शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट अपने भाई और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के साथ हाथ मिला सकती है, तो एनसीपी के दोनों धड़ों शरद पवार और अजित पवार गुट में भी विलय की संभावना बन रही है. 

NCP Foundation Day
NCP Foundation Day
Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jun 11, 2025, 08:29 AM IST
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NCP Foundation Day in Pune Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में तीन चौथाई बहुमत के साथ प्रचंड बहुमत से सत्ता में आए महायुति के आगे विपक्ष पस्त नजर आ रहा है. कांग्रेस कमजोर है तो शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बंटी है. एनसीपी का एक गुट पावर यानी सत्ता के साथ है तो दूसरा शरद पवार के संग. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का मंगलवार 10 जून को स्थापना दिवस था, जहां पुणे में दोनों धड़ों ने अलग-अलग कार्यक्रमों में शक्ति प्रदर्शन करेंगे. लेकिन सबसे ज्यादा कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि क्या पार्टी में ढीली होती पकड़ के बीच शरद पवार भतीजे संग सुलह पार्टी के विलय की ओर कदम बढ़ाएंगे. क्या पवार बीजेपी के साथ पॉवर में आने पर अपनी मुहर लगाएंगे.महाराष्ट्र में कुछ महीनों के बाद निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में आज सबकी निगाहें पुणे में होने वाले आयोजनों पर ही है. 

उप मुख्यमंत्री अजित पवार गुट का शक्ति प्रदर्शन शिवाजी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में हुआ, जहां 50 हजार से ज्यादा भीड़ जुटी. वहीं शरद पवार  की एनसीपी ने स्थापना दिवस कार्यक्रम शिवाजी नगर में मनाया, जहां काफी कम भीड़ दिखी. दोनों कार्यक्रम 10 किलोमीटर की दूरी पर हुए. दोनों धड़ों में विलय की सुगबुगाहट के बीच ये स्थापना दिवस कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.  

महाराष्ट्र की राजनीति में अभी गजब का संयोग है, जब दो पार्टियां सत्ता के साथ विपक्ष में भी हैं. एनसीपी का एक गुट तो सत्ता में है तो दूसरा विपक्ष में. शिवसेना का भी यही हाल है. भाजपा खुद अपने बलबूते बहुमत के पास है, लेकिन वो शिवसेना शिंदे और एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ सरकार चला रही है.

पवार ने 26 सालों पहले जब एनसीपी की स्थापना की थी, तब उन्होंने राज्य के विभिन्न इलाकों से शिक्षा, कृषि, सहकारी संगठनों के युवा नेताओं को आगे लाकर बड़ा कदम उठाया था. इन्हीं में से एक उनके भतीजे अजित पवार भी थे. अजित पवार ने अपने रणनीतिक कौशल और संगठन को जोड़ने की क्षमता से सबको प्रभावित किया. आज बाजी पलट चुकी है. भतीजे ने चाचा शरद पवार को चित कर एनसीपी की कमान संभाल ली है. सत्ता में होने के साथ संगठन के बड़े नेताओं को भी अपनी ओर खींच लिया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शरद पवार ने कभी बीजेपी से हाथ नहीं मिलाया है. लेकिन उम्र के चलते मजबूरियों को झेल रहे शरद पवार ने कमान बेटी सुप्रिया सुले को दे रखी है. ऐसे में वो एनसीपी के साथ आने या भाजपा से हाथ मिलाने जैसे फैसलों का विकल्प उन्हीं पर डाल सकते हैं. इससे पवार की प्रतिज्ञा भी बनी रहेगी और एनसीपी में एका के साथ वो सत्ता में आ सकेगा.

चुनाव आयोग भी आधिकारिक तौर पर अजित पवार के गुट के असली एनसीपी होने पर मुहर लगा चुका है. उसे पार्टी का सिंबल घड़ी भी मिला है. छगन भुजबल, प्रफुल्ल पटेल जैसे कद्दावर नेता भी अजित पवार के साथ हैं.

बाल गंधर्व रंग मंदिर में एनसीपी शरद पवार गुट और शिवाजी महाराज स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में अजित पवार गुट के आयोजनों को देखकर भी लगता है कि राजनीतिक बयार किस ओर बह रही है. 

मोदी सरकार की तरफदारी की सुप्रिया सुले ने
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, जो हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद छेड़े गए भारत के कूटनीतिक मिशन से लौटी हैं, उन्होंने अजित पवार को अपना भाई बताया है. साथ ही मोदी सरकार की तारीफ भी की है. लिहाजा दोनों पक्षों के बीच एकजुटता की बात अब एनसीपी कार्यकर्ता भी करने लगे हैं. संसद में भी एनसीपी का रुख मोदी सरकार के प्रति नरम पड़ा है. 

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