trendingNow12836975
Hindi News >>देश
Advertisement

'वन नेशन वन इलेक्शन' पर पूर्व CJI ने ऐसा क्या कहा.. उठ गए सवाल, बाहुबली बन जाएगा चुनाव आयोग?

Election Commission Powers: पूर्व CJI रंजन गोगोई और यूयू ललित पहले ही अपनी राय दे चुके हैं. अब पूर्व CJI जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी बात रखी और कुछ सवाल खड़े कर दिए. अब तक चार पूर्व CJIs समिति को फीडबैक दे चुके हैं.

File Photo Election Commission
File Photo Election Commission
Gaurav Pandey|Updated: Jul 12, 2025, 02:12 PM IST
Share

One Nation One Election: वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा लंबे समय से हो रही है. इस पर बनी संयुक्त संसदीय समिति JPC की हालिया बैठक में दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश शामिल हुए. उनकी राय भी बी चर्चा का विषय बन गई. पूर्व CJI जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी बात रखी और कुछ सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि चुनाव आयोग को इस बिल में असीमित और बिना निगरानी शक्तियां दी जा रही हैं. जिससे भविष्य में संवैधानिक संतुलन बिगड़ सकता है. क्या है इसके मायने आइए समझते हैं.

'संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं'
असल में बैठक में दोनों पूर्व CJIs ने कहा कि प्रस्तावित बिल संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं है. लेकिन इसके कुछ हिस्से कानूनी रूप से संवेदनशील हैं. खासतौर पर अनुच्छेद 82A(5) पर आपत्ति जताई गई जो चुनाव आयोग को यह अधिकार देता है कि वह किसी राज्य में चुनाव को टाल सके. अगर उसे लगे कि लोकसभा चुनाव के साथ उसे कराना संभव नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस स्थिति को 'संवैधानिक चुप्पी' बताया. यानी वह स्थिति जहां कानून स्पष्ट नहीं है. लेकिन कार्यपालिका को बहुत ज्यादा ताकत दे दी गई है.

अब तक चार पूर्व CJIs समिति को फीडबैक दे चुके
पूर्व CJI रंजन गोगोई और यूयू ललित पहले ही अपनी राय दे चुके हैं. जिससे अब तक चार पूर्व CJIs समिति को फीडबैक दे चुके हैं. इनकी राय यह कहती है कि बिना संसदीय निगरानी के चुनाव आयोग को इतनी 'बाहुबली जैसी ताकत' देना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है. समिति के कई सदस्यों ने भी इस पर सहमति जताई कि ऐसे प्रावधानों से भविष्य में कानूनी विवाद खड़े हो सकते हैं.

JPC की इस बैठक में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र सिर्फ विचार नहीं एक संरचना है. उन्होंने संविधान के तहत राज्यों की बराबरी का जिक्र करते हुए कहा कि किसी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल घटाकर दूसरे राज्य या संसद के साथ मिलाना, संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होगा. वहीं पूर्व CJI खेहर ने सवाल उठाया कि अगर किसी राज्य में आपातकाल लगा हो तो चुनावी चक्र कैसे समन्वित रहेगा?

संयुक्त समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि समिति सभी विशेषज्ञों की राय का सम्मान करती है और इसका उद्देश्य सिर्फ बिल पास कराना नहीं बल्कि उसे संविधान के अनुरूप और व्यावहारिक बनाना है. संजय झा JDU और संबित पात्रा BJP जैसे सदस्यों ने भी माना कि सुझावों के आधार पर बिल में बदलाव संभव है. फिलहाल वन नेशन वन इलेक्शन’ पर चर्चा का दौर अभी जारी है.

Read More
{}{}