Indus Water Treaty: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ के कई कड़े कदम उठाए, इसमें सिंधु जल संधि को रोकने का भी ऐलान था. इससे अब पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है और फिर से भारत से गुहार लगाई है. पाकिस्तान ने भारत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को खत लिखकर अपील की है कि इस फैसले पर दोबारा विचार किया जाए. सूत्रों के मुताबाकि, पाकिस्तान ने भारत के सामने जल संकट का हवाला दिया.
सूत्रों के अनुसार नियम के मुताबिक यह पत्र विदेश मंत्रालय भेज दिया गया है लेकिन भारत को पाकिस्तान की गुहार को फिलहाल अनसुना कर दिया है. भारत अब तीन नदियों के पानी का अपने लिए इस्तेमाल करने की प्लान बना रही है. मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस पर तुरंत काम शुरू कर दिया गया है.
'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते'
22 अप्रैल के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 सैलानियों की गोलीमारकर बेरहमी से हत्या कर दी थी. भारत सरकार ने इस आतंकी हमले के जवाब में सबसे पहले सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का फैसला किया, जिसकी वजह से अब पाकिस्तान जल संकट से जूझने लगा है. भारत ने पहलगाम हमले का बदला लेते हुए पाकिस्तान और PoK में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही में देश के नाम अपने संबोधन में दो टूक कहा था कि 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.'
सिंधु जल समझौता कब हुआ था?
सिंधु जल समझौता 19 सितंबर 1960 में हुआ था. इस संधि पर भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे. यह संधि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली से पानी के बंटवारे को कंट्रोल करती है. इस संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज के जल का बंटवारा हुआ था.
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