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DNA: पाकिस्तान को क्लीन चिट देने लगे चिदंबरम? पहलगाम आतंकी हमले पर कहा कुछ ऐसा, खुश हो गए होंगे शहबाज शरीफ-आसिम मुनीर!

हमारे देश में क्या विपक्ष के नेता होने का मतलब ये हो गया है कि आप सेना पर उंगली उठाएं? और वैसा ही एजेंडा अपना लें, जैसा देश के दुश्मन को सूट करता है?

DNA: पाकिस्तान को क्लीन चिट देने लगे चिदंबरम? पहलगाम आतंकी हमले पर कहा कुछ ऐसा, खुश हो गए होंगे शहबाज शरीफ-आसिम मुनीर!
Zee News Desk|Updated: Jul 28, 2025, 11:54 PM IST
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हमारे देश में क्या विपक्ष के नेता होने का मतलब ये हो गया है कि आप सेना पर उंगली उठाएं? और वैसा ही एजेंडा अपना लें, जैसा देश के दुश्मन को सूट करता है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मनमोहन सरकार में गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर ये बताने की कोशिश की- जैसे आतंकी पाकिस्तान से नहीं आए थे, वो भारत के ही थे. दरअसल आज ही चिदंबरम जैसे कद्दावर नेता को जब संसद से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सबूत गिना रहे थे, तब हमारी सेना ग्राउंड जीरो से ये सबूत दिखा रही थी कि पहलगाम के आतंकी पाकिस्तान से आए थे. ये नए सबूत पूरे देश को देखने चाहिए.

विपक्ष को सेना पर भरोसा या पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शस आसिम मुनीर पर?

ना ही प्रणीति शिंदे और पी चिदंबरम जैसे कांग्रेस नेताओं के बयान स्वीकार किये जा सकते हैं, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर तमाशा लगता है और पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान के आतंकी नहीं दिखते. संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होने से पहले एक इंटरव्यू में पी चिदंबरम ने क्या कहा, पहले आप उसका एक-एक शब्द पढ़िएगा और गौर कीजिएगा.

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर उन्होंने कहा-

NIA यह बताने को तैयार नहीं हैं कि इन हफ्तों में उन्होंने क्या किया? 

क्या NIA ने आतंकवादियों की पहचान की है?

क्या यह पता लगाया है कि आतंकी कहां से आए थे?

क्या पता, वे देश के ही आतंकवादी हों?

आप यह क्यों मान रहे हैं कि वे पाकिस्तान से आए थे? इसका कोई सबूत नहीं है.

पी चिदंबरम कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं. कांग्रेस की सरकार में वित्त और गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाल चुके हैं. राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता रहे हैं. यानी चिदंबरम का कद कांग्रेस में बड़ा है और वो ये कहने की कोशिश कर रहे हैं कि पहलगाम आतंकी हमले में जैसे पाकिस्तान के आतंकी का हाथ ही ना हो' उन्हें कोई सबूत ही नहीं दिख रहा' आगे हम उन्हें सबूत भी दिखाएंगे, लेकिन कम से कम चिदंबरम के बयान से आज मुनीर बहुत खुश हो रहा होगा.

'ये बयान पाकिस्तान अपने पक्ष में भुना सकता है'

खुशी शहबाज शरीफ को भी होगी. हाफिज सईद और मसूद अजहर भी आज जश्न मना रहे होंगे. ऐसा क्यों है आप समझिए पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा था कि इस घटना में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है. चिदंबरम कह रहे हैं कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे इसका क्या सबूत है. क्या चिदंबरम का ये बयान पाकिस्तान को फायदा नहीं पहुंचाएगा.

पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले पर भारत के खिलाफ साजिश वाली थ्योरी गढ़ी थी. पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा करते हुए कहा था कि पहलगाम हमले की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके. पाकिस्तान भारतीयों एजेंसियों की जांच पर सवाल उठा रहा था.

चिदंबरम NIA से पूछ रहे हैं कि एजेंसी बताए की उसने क्या किया. सोचिए क्या चिदंबरम के बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान भारतीय एजेंसियों पर सवाल नहीं उठाएगा.

चिदंबरम जैसे दिग्गज नेता के बयान से पाकिस्तान को क्लीन चिट क्यों दी?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद शहबाज और मुनीर ने आरोप लगाया कि भारत इस घटना का इस्तेमाल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बदनाम करने के लिए कर रहा है. चिदंबरम ये कह रहे हैं कि क्या पता आतंकी भारत के ही हो. क्या चिदंबरम के बयान को आधार बनाकर पाकिस्तान ये नहीं कहेगा कि भारत में ही पहलगाम को लेकर सवाल उठ रहे हैं और भारत हमें बदनाम कर रहा है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का पर्दाफाश करने के लिए सरकार ने सांसदों की टीम बनाई. कई देशों में इस टीम ने दौरा किया. टीम में सभी दलों के सांसद थे. भारत के कूटनीतिक प्रयासों का नतीजा ही है कि TRF को अमेरिका ने आतंकी सगंठन घोषित किया. भारत पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल कराने की कोशिश कर रहा है.

इसलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे महत्वपूर्ण समय में चिदंबरम जैसे दिग्गज नेता के बयान से पाकिस्तान को क्लीन चिट क्यों दी. क्या पी चिदंबरम को अपनी सेना, अपनी सरकार,अपने देश के विदेश मंत्री के बयान पर भी भरोसा नहीं है.

जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा, 'हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के बारे में बताया. हमारी रेड लाइन पार कर गई, तब हमें सख्त कदम उठाने पड़े. हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया.

जब नेताओं ने उठाए सेना के शौर्य पर सवाल

लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना विपक्ष का अधिकार है. सवाल पूछने भी चाहिए. लेकिन कर्तव्य ये भी है कि वो देशहित को राजनीतिक सवालों से ऊपर रखा जाए. हम आपको बता चुके हैं कि चिदंबरम विपक्ष के बड़े नेता हैं. कई बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं. ऐसे में उन्हें सोच-समझ कर बयान देना चाहिए था. लेकिन ये पहली बार नहीं है कि जब विपक्षी नेताओं ने ऐसे सेना के शौर्य पर सवाल उठाया है.

कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने 2 मई 2025 को केंद्र सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जनवरी 2023 में 'सर्जिकल स्ट्राइक' पर सवाल उठाते हुए सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था.

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अक्टूबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे.

आज चिदंबरम ने फिर ऐसे सवाल उठाए हैं जिससे पाकिस्तान फायदा उठा सकता है. इन सवालों से आज मुनीर खुश होगा. हाफिज और मसूद जश्न के मूड में होंगे. इसलिए आज विपक्षी सांसद भी चिदंबरम के सवाल पर सवाल उठा रहे हैं.

विपक्षी नेता देशहित की मर्यादा कैसे भूल जाते हैं?

राजनीतिक विवाद में सिर्फ सरकार को घेरने के लिए कैसे विपक्षी नेता देशहित की मर्यादा भूल जाते हैं ये पश्चिम बंगाल में भी दिखा. तृणमूल कांग्रेस की विधायक साबित्री मित्रा ने कह दिया कि आतंकी कभी पर्यटकों को निशाना नहीं बनाते हैं.

सोचिए जिस आतंकी घटना में धर्म पूछकर 26 लोगों की बर्बर हत्या कर दी गई. जिस आतंकी घटना से जुड़े आतंकी संगठन को बैन किया गया है. उसी आतंकी घटना को लेकर हमारे देश के नेता जांच एजेंसियों पर सवाल उठा रहे हैं. सोचिए इन बयानों से उन परिवारों पर क्या गुजर रही होगी जिन्होंने पहलगाम में अपनों को खोया है. आज हम इस विषय पर कुछ और नहीं कहेंगे. आज हम पी चिदंबरम, साबित्री मित्रा और दूसरे विपक्षी नेताओं को कहेंगे कि आपको आज ऐशान्या द्विवेदी को जरूर सुनना चाहिए.

ऐशान्या ने कहा, 'मैं इन लोगों की मानसिक स्थिति नहीं समझ पाती हूं कि आपके देश में इतनी बड़ी घटना हुई और आप एक हिंदुस्तानी बन कर नहीं सोच पा रहे हैं' आप इसको एक राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं'.

आज हम इतनी ही उम्मीद करेंगे कि हमारे नेता हिन्दुस्तानी बनकर सोचेंगे. वो सरकार से जरूर सवाल करेंगे, लेकिन उम्मीद है वो देशहित की मर्यादा का ख्याल भी रखेंगे.

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