Parliament Session Monsoon: संसद का मॉनसून सत्र आज यानी सोमवार 21 जुलाई 2025 से शुरू होने वाला है. इस सत्र में विपक्ष के पहलगाम आतंकी हमला, बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिविजन ( SIR) और ऑपरेशन सिंदूर में संघर्ष विराम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बार-बार की गई टिप्पणियों को लेकर सवाल उठाएगा. वहीं इस सत्र में केंद्र सरकार कई विधेयक भी पेश करने की तैयारी में है. बता दें कि इस सत्र में 21 अगस्त 2025 तक दोनों सदनों की कुल 21 बैठक होंगी. चलिए जानते हैं कि संसद के कई सत्र क्या हैं, इन्हें बुलाया कैसे जाता है और इनकी तारीखें कौन तय करता है.
हर साल संसद के कितने सत्र का आयोजन होता है?
भारत की संसद हर साल 3 नियमित सत्र का आयोजन करती है. जरूरत पड़ने पर विशेष सत्र भी आयोजित होता है. संविधान में सत्र को लेकर कोई निश्चित तिथियां निर्धारित नहीं हैं, लेकिन यह जरूर निर्धारित किया गया है कि 2 सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का गैप नहीं होना चाहिए.
कौन-कौन से होते हैं सत्र?
पहला सत्र बजट सत्र होता है, जो फरवरी से अप्रैल या मई के बीच होता है. इसका मकसद केंद्रीय बजट पेश और पारित करना होता है. यह सबसे महत्वपूर्ण और सबसे लंबा सत्र होता है. इसके बाद जुलाई से अगस्त या सितंबर तक मॉनसून सत्र चलता है. इसका मकसद विधेयकों, बहसों और कई नीतिगत मामलों पर चर्चा करना होता है. तीसरा होता है शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर के बीच चलता है, जो वर्षांत समीक्षा, लेजिस्लेटिव एक्शन और कुछ जरूरी मामलों के लिए होता है. यह सत्र बाकी 2 के मुकाबले छोटा होता है.
कौन तय करता है संसद सत्र की तारीखें?
संविधान के आर्टिकल 85(1) के तहत राष्ट्रपति की ओर से संसद के हर सदन को बुलाया जाता है. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की सलाह पर सत्र की तिथियां और अवधि तय करता है. राष्ट्रपति के बिना औपचारिक बुलावे के संसद की बैठक नहीं हो सकती है.
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