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सवालों के जवाब ट्रकों के पीछे लिखी शायरी पढ़कर ना दें... संसद में किस पर भड़क गए RJD सांसद मनोज झा?

Parliament Session:  राजद के राज्यसभा सांंसद संसद के बजट सत्र के दौरान कई तीखें सवाल किए. उन्होंने इस दौरान EPIC से भी जुड़ा मुद्दा उठाया. साथ ही राज्यसभा सदस्य ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी और फर्जी वोटिंग की संभावना पर भी सवाल उठाए.

सवालों के जवाब ट्रकों के पीछे लिखी शायरी पढ़कर ना दें... संसद में किस पर भड़क गए RJD सांसद मनोज झा?
Md Amjad Shoab|Updated: Mar 12, 2025, 03:17 PM IST
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Parliament Session: राज्यसभा में बुधवार को संसद के बजट सत्र के दौरान EPIC (Electors Photo Identity Card) विवाद को लेकर जबरदस्त गहमागहमी रही. विपक्षी दलों, खासकर आरजेडी के सांसदों ने सरकार पर तीखे सवाल दागे और मतदाता पहचान पत्र में कथित गड़बड़ियों को लेकर जवाब मांगा. चर्चा के दौरान राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा ने कुछ ऐसा कहा जिसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं जोरों पर है. दरअसल,  RJD सांसद ने भी डुप्लीकेट EPIC (Electors Photo Identity Card) कार्ड का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और इसका जवाब भी पूरी गंभीरता से दिया जाना चाहिए, न कि ट्रकों के पीछे लिखी सस्ती शायरी से.

इतना ही नहीं, मनोज झा ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी और फर्जी वोटिंग की संभावना पर भी सवाल उठाए. उनका कहना था कि अगर वोचर लिस्ट में डुप्लीकेट EPIC कार्ड मौजूद हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. सांसद के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है. साथ ही विपक्षी पार्टियों ने भी मतदाता पहचान पत्र क्रमांक संख्या में दोहराव का मुद्दा उठाया गया और निर्वाचन आयोग से इस ‘गड़बड़ी’ की जांच करने और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा ने शून्यकाल के तहत इस मुद्दे का उठाते हुए कहा कि यह एक प्रश्न ऐसा है जो पिछले कुछ वर्षों से ना सिर्फ राजनीतिक दलों को बल्कि आम नागरिक को भी उद्वेलित कर रहा है. इससे पहले, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने मतदाता फोटो पहचान पत्र के दोहराव वाले अनुक्रमांक (ईपीआईसी) के मुद्दे पर नियम 267 के तहत राज्यसभा में तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग की थी, लेकिन उपसभापति हरिवंश ने इससे संबंधित सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए.

उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने जिस ईपीआईसी के मुद्दे पर नोटिस दिए हैं, उसी मुद्दे को अन्य माध्यमों से उठाने के लिए भी नोटिस दिए गए हैं और उन्हें स्वीकार भी किया गया है. राजद के झा ने शून्यकाल के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, ‘यह एक प्रश्न ऐसा है जो बीते कुछ महीनों से या यू कहूं तो कुछ सालों से ना सिर्फ राजनीतिक दलों को बल्कि आम नागरिक को भी उद्वेलित कर रहा है.’

'चुनाव कराया जाना महज एक खोखली इबारत नहीं है'
आर्टिकल 324 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाने और सभी के लिए समान अवसर प्रदान किए जाए जैसी दो महत्वपूर्ण बातें हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराया जाना महज एक खोखली इबारत नहीं है. इसके पीछे भाव है, इसके पीछे दर्शन है. हाल के दिनों में ईपीआईसी कार्ड के डुप्लीकेशन को लेकर जो चीजें हो रही हैं, वह सबके लिए चिंता का विषय है.’

लोकतंत्र की इमारत चुनाव से जिंदा है: सांसद
राज्यसभा सदस्य झा ने कहा कि ईपीआईसी का कई दफा सीमावर्ती राज्यों में दोहराव हो रहा है और इसकी संख्या लाखों में है, जिसकी वजह से चुनाव की निष्पक्षता से समझौता हो रहा है. उन्होंने कहा कि EPIC कार्ड के पहले तीन अक्षर विधानसभा क्षेत्र को चिह्नित करते हैं लेकिन ऐसा पाया गया है कि उसी राज्य की दूसरी विधानसभा में वह तीन अक्षरों की पुनरावृत्ति होती है और अलग-अलग राज्यों में भी होती है. राजद सदस्य ने कहा, ‘यह जो संसद है...यह लोकतंत्र की इमारत है और लोकतंत्र चुनाव से जिंदा है. अगर चुनाव की पद्धति और प्रक्रियाओं से समझौता होगा, उसमें से गड़बड़ी की बू आएगी तो कुछ भी नहीं बचेगा.’ उन्होंने कहा, ‘मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि सदन की ओर से एक संदेश जाए...डुप्लीकेट ईपीआईसी किस स्तर तक फैला है, इसकी जांच की जाए कि यह गड़बड़ी कहां से हो रही है और सुधारात्मक उपाय हो.’

RJD सांसद का इशारा
झा ने इसके साथ-साथ निर्वाचन आयोग से वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने वालों, उसमें नए नाम जोड़े जाने वालों और इसमें किए गए सुधारों के लिए अलग लिस्ट जारी करने की भी मांग की. उन्होंने कहा, ‘यह इतने गंभीर प्रश्न हैं कि इनके जवाब सस्ती शायरी नहीं हो सकते. गंभीर सवाल के जवाब गंभीरता से देने चाहिए ना कि ट्रकों के पीछे लिखी शायरी पढ़ कर.’ झा का इशारा पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की तरफ था.

विपक्षी पार्टियां संसद सत्र की शुरुआत से ही अलग-अलग  राज्यों में मतदाता पहचान पत्र संख्या के दोहराव का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रही हैं. विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया है. विपक्षी दल लगातार यह मांग भी कर रहे हैं कि निर्वाचन आयोग प्रत्येक नई संशोधित मतदाता सूची के साथ जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए, नाम जोड़ गए हैं या संशोधन किये गए है, उनकी सूची भी जारी की जाए. 

इनपुट- भाषा

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