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ट्रेन में सामान की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी? कोर्ट ने कहा- अगर रेलवे की गलती नहीं तो चोरी पर नहीं मिलेगा मुआवजा

Train Luggage Safety Rule: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया. जिसमें एक व्यक्ति का आरोप था कि जनवरी 2013 में नई दिल्ली से नागपुर की यात्रा करते समय उसका बैग चोरी हो गया था.

ट्रेन में सामान की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी? कोर्ट ने कहा- अगर रेलवे की गलती नहीं तो चोरी पर नहीं मिलेगा मुआवजा
Gunateet Ojha|Updated: Apr 09, 2025, 11:57 PM IST
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Passenger Responsible for Luggage Safety: अब अगर ट्रेन से सफर करने के दौरान आपका सामान चोरी होता है तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ आपकी ही होगी. क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर क्लियर कह दिया है कि अपने सामान के लिए पैसेंजर खुद जिम्मेदार होगा. कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि ट्रेन में यात्रा करते समय यात्री अपने सामान की सुरक्षा के लिए खुद जिम्मेदार है न कि रेलवे. अगर कोई चोरी की घटना होती है और उसमें रेलवे अधिकारियों की कोई लापरवाही साबित नहीं होती तो रेलवे पर दोष नहीं मढ़ा जा सकता.

क्या था मामला?

यह फैसला एक व्यक्ति की याचिका पर सुनाया गया है. उसने दावा किया था कि जनवरी 2013 में उसने नई दिल्ली से नागपुर की ट्रेन यात्रा के दौरान अपना बैग खो दिया. उस बैग में लैपटॉप, कैमरा, चार्जर, चश्मा और एटीएम कार्ड जैसे कीमती सामान थे. पीड़ित ने रेलवे से 84,000 रुपये की भरपाई और 1 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था.

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग पहले कर चुका याचिका खारिज

इससे पहले राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. आयोग ने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आरोप यह दर्शाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि रेलवे की ओर से कोई सेवा में कमी हुई थी.

याचिकाकर्ता ने लगाए थे ये आरोप

अपनी शिकायत में यात्री ने कहा कि ट्रेन का सहायक (अटेंडेंट) सो रहा था और असभ्य व्यवहार कर रहा था. साथ ही ट्रेन टिकट परीक्षक (टीटी) को कोच में ढूंढ पाना मुश्किल था. लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इस तर्क को ठुकरा दिया कि सिर्फ टीटी की अनुपस्थिति को सेवा में कमी नहीं माना जा सकता. जब तक यह न कहा जाए कि उन्होंने कोई जिम्मेदारी निभाने से इंकार किया हो या गलती की हो.

टीटी न होने से नहीं बनती रेलवे की गलती

न्यायमूर्ति रवीन्द्र डुडेजा ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ऐसा कोई भी आरोप नहीं लगाया गया है. जिससे यह साबित हो कि कोच का दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया गया था या किसी अधिकारी की लापरवाही से चोरी हुई. कोर्ट ने साफ किया कि यह यात्री की जिम्मेदारी थी कि वह अपने सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि कानूनी रूप से यह तय है कि यात्रा के दौरान यात्रियों को अपने सामान की सुरक्षा खुद ही करनी होती है. जब तक रेलवे की ओर से कोई सीधी लापरवाही न हो.. रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

यात्रियों के लिए अहम चेतावनी

यह फैसला रेलवे यात्रियों के लिए एक अहम चेतावनी है कि वे अपने सामान की देखरेख खुद करें. रेलवे की सेवाएं सीमित हैं और वह हर यात्री के व्यक्तिगत सामान की निगरानी नहीं कर सकती. अगर कोई चोरी होती है तो तब तक रेलवे से मुआवजे की उम्मीद नहीं की जा सकती जब तक रेलवे की गलती या लापरवाही स्पष्ट न हो.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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