Emergency 1975 in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में 50 साल पहले लगी इमरजेंसी को भारत के लोकतंत्र के सबसे काले अध्यायों में से एक बताया. उन्होंने कहा कि 1975 में जब आपातकाल लागू किया गया तो इससे न सिर्फ संविधान की आत्मा की हत्या हुई बल्कि न्यायपालिका को भी कठपुतली बनाने की कोशिश की गई.
आपातकाल के 50 साल पूरे..
पीएम मोदी ने बताया कि कुछ दिन पहले देश ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर संविधान हत्या दिवस के रूप में उसे याद किया. उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों को याद रखना चाहिए जिन्होंने उस दौर में साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी. उनका संघर्ष हमें अपने संविधान को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा सजग रहने की प्रेरणा देता है.
पुरानी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुनाई..
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने उस समय के नेताओं मोरारजी देसाई.. अटल बिहारी वाजपेयी और जगजीवन राम के भाषणों की पुरानी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुनाई. जिसमें उन्होंने इमरजेंसी के दौरान हुए अत्याचारों का जिक्र किया था. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ये कह रहे हैं कि जिन्होंने आपातकाल लगाया था जनता ने उन्हें इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया. 25 जून 1975 को लागू की गई यह इमरजेंसी 21 महीनों तक चली. जिसमें नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया. प्रेस पर सेंसरशिप लगी और हजारों राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया.
मन की बात के जरिए पलटवार..
मन की बाद का यह कार्यक्रम ऐसा समय आया है जब सरकार और विपक्ष संविधान को लेकर एक दूसरे पर हमलावर हैं. विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि सरकार के तहत अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात बन रहे हैं, आरोप हैं कि संविधान में परिवर्तन की बात चल रही है. इन सबके बीच पीएम मोदी ने मन की बात के जरिए कांग्रेस पर पलटवार किया है.
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