trendingNow12771206
Hindi News >>देश
Advertisement

रेप पीड़िता ने कुछ ऐसा किया.. 360 डिग्री घूम गया केस, रेपिस्ट की पूरी सजा सुप्रीम कोर्ट से माफ

Rape Victim Saves: इस केस में ट्विस्ट तब आया था जब पीड़िता खुद उसे बचाने के लिए कोर्ट में लड़ने लगी. उसने कर्ज लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी. बच्ची को गोद में लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटे और हरसंभव कोशिश की कि वह बच जाए.

रेप पीड़िता ने कुछ ऐसा किया.. 360 डिग्री घूम गया केस, रेपिस्ट की पूरी सजा सुप्रीम कोर्ट से माफ
Gaurav Pandey|Updated: May 24, 2025, 12:28 PM IST
Share

Supreme Court POCSO judgment: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक ऐसे रेप दोषी युवक की सजा माफ कर दी जिसे नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी ठहराया गया था. मामला पश्चिम बंगाल का है जो 2018 में 14 वर्षीय नाबालिग लड़की और 25 वर्षीय युवक से जुड़ा हुआ है. पहले निचली अदालत ने युवक को POCSO कानून के तहत 20 साल की सजा सुनाई थी. फिर पीड़िता ने कोर्ट में खुद बताया कि वह युवक से प्यार करती थी और अपनी मर्जी से घर से भागी थी. बाद में उन दोनों ने शादी की और अब उनकी एक बच्ची भी है. लेकिन मामला इतना सीधा सपाट नहीं है.

'सिस्टम ने पहले ही बहुत अन्याय किया'
असल में इस केस ने नया मोड़ तब लिया था जब पीड़िता खुद उसे बचाने के लिए कोर्ट में लड़ने लगी. उसने कर्ज लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी बच्ची को गोद में लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटे और हरसंभव कोशिश की कि वह टूटने से बच जाए. इस संघर्ष ने सुप्रीम कोर्ट को झकझोर दिया. कोर्ट ने माना कि आरोपी दोषी है लेकिन पीड़िता के साथ समाज और सिस्टम ने पहले ही बहुत अन्याय किया है. अब उसे और सजा देकर उसका परिवार उजाड़ना सही नहीं होगा.

संविधान के अनुच्छेद 142 में

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 में मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शुक्रवार को युवक की सजा माफ कर दी. कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह केस की विशेष परिस्थितियों पर आधारित है और इसे भविष्य के लिए नजीर नहीं माना जाएगा. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक और मानवीय संवेदना से जुड़ा मामला है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पहले 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कुछ चौंकाने वाली और विवादित टिप्पणियां की थीं. इसके बड़ा सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और 20 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए युवक को फिर से दोषी ठहराया था. हालांकि सजा पर अंतिम निर्णय लेने से पहले कोर्ट ने एक विशेषज्ञ समिति बनाकर पीड़िता की वर्तमान स्थिति का आकलन करवाया. रिपोर्ट में पाया गया कि अगर युवक को जेल भेजा गया तो पूरा परिवार बिखर जाएगा.

‘राइट टू प्राइवेसी ऑफ एडोल्सेंट’

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ‘राइट टू प्राइवेसी ऑफ एडोल्सेंट’ को लेकर भी गहरी चिंता जताई. कोर्ट ने यह भी माना कि पीड़िता को कभी सही जानकारी और विकल्प नहीं मिले. वह भावनात्मक रूप से आरोपी से जुड़ चुकी है और अब अपने परिवार को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. कोर्ट ने उसे पुनर्वास सहायता देने और व्यावसायिक ट्रेनिंग उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए आरोपी की शेष सजा माफ कर दी.

Read More
{}{}