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DNA: एमपी से झारखंड तक नाम बदलने वाली जंग! मध्य प्रदेश में 'नवाब' पर क्यों फैला 'तनाव'?

शायद आप सोच रहे हों कि अस्पताल का नाम बदलना और भोपाल के पूर्व नवाब हमीदुल्ला को गद्दार कहने के पीछे क्या कनेक्शन है.

DNA: एमपी से झारखंड तक नाम बदलने वाली जंग! मध्य प्रदेश में 'नवाब' पर क्यों फैला 'तनाव'?
Tahir Kamran|Updated: Jul 25, 2025, 10:59 PM IST
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Nawab Hamidullah: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नगर निगम ने हमीदिया नाम के एक बड़े अस्पताल और एक बगीचे का नाम बदलने का फैसला क्या लिया कि हंगामा हो गया. बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए और सियासी बयानबाजी में गद्दार जैसा शब्द गूंजने लगा. दूसरी तस्वीर है झारखंड की है, जहां भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर योजना का नाम बदलने को लेकर बीजेपी ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. अब हम आपके सामने नाम बदलने की इस राजनीतिक परंपरा का विश्लेषण करने जा रहे हैं.

भोपाल नगर निगम जहां शहर के विकास पर चर्चा होनी चाहिए वहां भोपाल के पूर्व नवाब को गद्दार बताया जा रहा है और गद्दारी के इस आरोप पर जारी राजनीतिक गदर में निगम के अंदर नारेबाजी की जा रही है. भोपाल नगर निगम में इस सियासी हंगामे की वजह है. भोपाल की पहचान का हिस्सा बन चुके हमीदिया अस्पताल और अशोका गार्डन का नाम बदलना. नगर निगम ने अशोका गार्डन का नाम बदलकर राम बाग रखने का फैसला किया है तो हमीदिया अस्पताल का नाम बदलने के लिए भी राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर सिफारिश भेज दी है.

हमीदुल्ला को गद्दार कहने के पीछे क्या कनेक्शन है

शायद आप सोच रहे हों कि अस्पताल का नाम बदलना और भोपाल के पूर्व नवाब हमीदुल्ला को गद्दार कहने के पीछे क्या कनेक्शन है. इस सवाल का जवाब हम आपको बताते हैं. वर्ष 1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के अलग-अलग रजवाड़ों और सल्तनतों का विलय चल रहा था. भोपाल की रियासत उस वक्त नवाब हमीदुल्ला के हाथों में थी. हमीदुल्ला भारत में विलय नहीं चाहते थे. वो कश्मीर और हैदराबाद की तरह भोपाल की सल्तनत को आजाद रखने की फिराक में थे. विलय का समर्थन करने वाले एक प्रदर्शन पर नवाब हमीदुल्ला ने गोलियां भी चलवा दी थीं.

हमीदिया अस्पताल का नाम बदलने को लेकर क्यों हो रही सियासत

हालांकि 1949 में हमीदुल्ला को झुकना पड़ा और भोपाल भी भारत का हिस्सा बन गया. भोपाल के हमीदिया अस्पताल के लिए जमीन भी नवाब हमीदुल्ला ने ही दी थी. इसी वजह से हमीदिया अस्पताल का नाम बदलने पर हंगामा जारी है. बीजेपी का दावा है आंदोलनकारियों पर गोली चलवाने वाला हमीदुल्ला देश का गद्दार है तो कांग्रेस के लिए हमीदिया अस्पताल के लिए जमीन देने वाला हमीदुल्ला एक समाजसेवी है. वर्ष 2021 में भोपाल के रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया गया था. शहर के अंदर कुछ पुराने इलाकों के भी नाम बदले जा चुके हैं. इन फैसलों पर किसी ने विरोध आवाज नहीं उठाई लेकिन जैसे ही नाम बदलने की प्रक्रिया, नवाब हमीदुल्ला से जुड़े अस्पताल तक पहुंची तो सियासी हो-हल्ला मानों आउट ऑफ कंट्रोल हो गया है.

झारखंड में सियासी पारा हाई

मध्य प्रदेश में बीजेपी शासित नगर निगम पर वोटबैंक की राजनीति के लिए अस्पताल का नाम बदलने के आरोप लग रहे हैं तो झारखंड में खुद बीजेपी सरकारी क्लीनिक योजना का नाम बदलने के खिलाफ मोर्चा खोले बैठी है. झारखंड में क्लीनिक को लेकर सियासी क्लेश समझने के लिए आपको झारखंड सरकार के एक फैसले को समझना चाहिए. झारखंड की सरकार ने सरकारी अनुदान से चलने वाली अटल क्लीनिक योजना का नाम बदलने का ऐलान कर दिया है. सरकार ने अब इस योजना का नाम बदलकर मदर टेरेसा क्लीनिक कर दिया है और साथ ही ये ऐलान भी किया है कि इन क्लीनिक्स में अब स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर भी बढ़ाया जाएगा. हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने कुल 21 फैसले लिए हैं लेकिन बीजेपी को बस अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति से जुड़ी योजना का नाम बदलने पर ऐतराज है. बीजेपी का कहना है कि इस तरह योजना का नाम बदलना बीजेपी के विकास कार्यो को हाईजैक करना है.

मध्य प्रदेश से लेकर झारखंड तक नाम बदलने पर राजनीतिक रण जारी है लेकिन नेताओं को ये भी समझना चाहिए कि जनता का वोट जगह या योजना का नाम बदलने से नहीं मिलता, बल्कि जनता विकास और सामाजिक सुरक्षा पर अपना मत देती है.

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