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नड्डा के तेवर से लेकर बिहार के चुनावी गणित तक, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सेहत से ज्यादा सियासत की क्यों हो रही चर्चा?

Jagdeep Dhankhar's Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. स्वास्थ्य कारणों से धनखड़ के इस्तीफे की बात इसलिए गले से नहीं उतरती क्योंकि करीब एक महीने पहले उत्तराखंड में एक कार्यक्रम में उनकी तबीयत खराब हुई थी. राजभवन में डॉक्टरों ने उनका इलाज किया और अगले ही दिन वे एक स्कूल के कार्यक्रम में शामिल हुए.

नड्डा के तेवर से लेकर बिहार के चुनावी गणित तक, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सेहत से ज्यादा सियासत की क्यों हो रही चर्चा?
Zee News Desk|Updated: Jul 22, 2025, 04:08 PM IST
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आदित्य पूजन/दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कार्यकाल अगस्त, 2027 में खत्म हो रहा था, लेकिन उन्होंने बीच में ही पद छोड़ने की घोषणा कर दी. धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दिया, जबकि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि उनसे इस्तीफा लिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से जब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आता, तब तक इस पर कयास लगते रहेंगे. कयास तो इस पर भी लग रहे हैं कि धनखड़ के इस्तीफे के कई घंटे बीतने के बाद भी प्रधानमंत्री या किसी केंद्रीय मंत्री ने कोई ट्वीट तक नहीं किया. कयास इसलिए भी लग रहे हैं क्योंकि 15 दिन भी नहीं हुए जब उन्होंने अपने रिटायरमेंट प्लान की चर्चा की थी. 10 जुलाई को जेएनयू में एक कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट कहा था कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद वे रिटायर हो जाएंगे. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने बीच में ही पद छोड़ने की घोषणा कर दी.

मोहन भागवत का बयान फैक्टर नहीं

स्वास्थ्य कारणों से धनखड़ के इस्तीफे की बात इसलिए भी गले से नहीं उतरती क्योंकि करीब एक महीने पहले उत्तराखंड में एक कार्यक्रम में उनकी तबीयत खराब हुई थी. राजभवन में डॉक्टरों ने उनका इलाज किया और अगले ही दिन वे एक स्कूल के कार्यक्रम में शामिल हुए. इसके बाद से धनखड़ लगातार एक्टिव थे और उनकी सेहत खराब होने की कोई खबर नहीं आई. यदि इस्तीफे की वजह सियासी है तो क्या इसका संबंध आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 75 साल में रिटायर होने वाले बयान से है. शायद नहीं, क्योंकि धनखड़ इस साल मई में 74 साल के हुए थे. उनसे पहले बीजेपी के कुछ बड़े नेता 75 साल के हो जाएंगे, इसलिए धनखड़ के इस्तीफे की ये वजह नहीं हो सकती. 

बिहार का सियासी गणित साध रही बीजेपी!

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे को बिहार चुनाव से भी सीधे नहीं जोड़ा जा सकता. जगदीप धनखड़ जिस समुदाय से आते हैं, उसका बिहार में वजूद ही नहीं है. इसलिए उनके इस्तीफे से किसी को खुश या नाराज करने का सवाल नहीं उठता. कहीं ऐसा तो नहीं कि धनखड़ की जगह किसी और को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी बिहार में अपना सियासी हित साधने की योजना बना रही हो. सोशल मीडिया पर जिस तरह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को अगला उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा चल रही है, उससे इस तर्क में दम लगता है. लेकिन हरिवंश बीजेपी में नहीं हैं. वे जेडीयू के कोटे से राज्यसभा पहुंचे हैं. सवाल है कि क्या सहयोगी दल के नेता को उपराष्ट्रपति बनाने के लिए बीजेपी अपने वरिष्ठ नेता की बलि ले सकती है. वो भी तब जबकि वह बिहार में गठबंधन की जूनियर पार्टनर है. 

विपक्ष के आरोपों में दम नहीं

कुछेक विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि धनखड़ हाल के दिनों में सरकार के उनके प्रति रवैये से नाराज थे. उन्होंने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग मामले में धनखड़ के बयानों के बाद वे दबाव में थे. विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को ही एक मीटिंग का हवाला भी दे रहे हैं जिसमें केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू शामिल नहीं हुए. राज्यसभा में नड्डा का एक बयान भी चर्चा में है जिसे सदन के अध्यक्ष के अपमान के रूप में पेश किया जा रहा है. इस मामले में नड्डा की सफाई के बाद किसी शक की गुंजाइश नहीं दिखती. धनखड़ से सरकार की नाराजगी की अटकलें भी निराधार ही हैं क्योंकि उपराष्ट्रपति के रूप में सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में वे कभी रुकावट नहीं बने. 

अब आगे क्या

बहरहाल, सवाल है कि अब क्या होगा. उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक है. संविधान के तहत उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है. संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित केवल एक प्रावधान है, जो राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके कार्य से जुड़ा है. अगर यह पद ख़ाली हो जाता है, तो यह काम राज्यसभा का उपसभापति या कोई अन्य सदस्य करता है, जिसे भारत के राष्ट्रपति ने अधिकृत किया हो. 

60 दिन के अंदर चुनाव

संविधान के अनुच्छेद 68(2) के मुताबिक़, उपराष्ट्रपति के निधन, इस्तीफे या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से खाली होने वाली जगह को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने का प्रावधान है. सामान्य परिस्थितियों में अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर करना होता है. संविधान के अनुच्छेद 66 के मुताबिक़ संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बना निर्वाचक मंडल उपराष्ट्रपति का चुनाव करता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व के मुताबिक चुनाव सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट के ज़रिए होता है. वोटिंग गुप्त मतदान यानी सीक्रेट बैलेट के जरिए होती है. 

अगले उपराष्ट्रपति का कार्यकाल

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान मामलों के जानकार संजय हेगड़े के मुताबिक नया उपराष्ट्रपति पांच साल तक अपने पद पर रहेगा. उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 68(2) से स्पष्ट है कि नया उपराष्ट्रपति अपने पूरे कार्यकाल के लिए चुना जाएगा, न कि निवर्तमान राष्ट्रपति के बचे हुए कार्यकाल के लिए.

FAQs

सवाल: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से कब इस्तीफा दिया?
जवाब: जगदीप धनखड़ ने सोमवार, 21 जुलाई को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

सवाल: उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कब होता है?
जवाब: सामान्य परिस्थितियों में अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर करना होता है.

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