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Rahul Gandhi: बरख़ुरदार... कुछ तो समझो! हर बार सेल्फ गोल क्यों? राजनीति में आखिर कब 'ग्रेजुएट' होंगे राहुल गांधी?

Rahul Gandhi on ceasefire: राहुल गांधी 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद से मोदी सरकार पर हमलावर हैं. पहलगाम हमले का इंतकाम भारतीय सेना ने तो ले लिया, लेकिन राहुल गांधी जिस तरह से 'युद्धकाल' में भी सवाल कर रहे थे, वो कांग्रेस की ही किरकिरी करा रहा है. 2004 से राजनीति में एंट्री करने वाले राहुल गांधी को 21 बरस हो चले हैं, लेकिन राजनीति में उनका ग्रेजुएशन अभी भी पूरा नहीं लगता है.

Rahul Gandhi
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Rahul Vishwakarma|Updated: May 23, 2025, 12:16 PM IST
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Operation Sindoor: पहलगाम हमला हुए एक महीना पूरा हो चुका है. इन बीते 30 दिनों में भारत के भीतर बहुत कुछ बदल गया. भारतीय सेना के शौर्य पर न तो पहले किसी को संदेह था, ना ही आज है. लेकिन देश में एक जमात ऐसी है जिसका नजरिया पुलवामा से लेकर पहलगाम तक थोड़ा तंग रहता है. वे पड़ोसी मुल्क को सिखाए गए सबक को अपने सवालों की कसौटी पर कसने के बाद ही ऐतबार करना जानते हैं. कांग्रेस के कुछ नेता उसी जमात से आते हैं. कुछ दिनों बाद 55 साल के होने जा रहे कांग्रेस के 'युवा नेता' राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर कुछ ऐसे सवाल कर दिए, जिन पर उन्हें अपनी पार्टी से ही पूरा सपोर्ट नहीं मिला. इससे पहले भी राहुल कई बार अपने बयानों से पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके हैं. बीजेपी जैसी पार्टी के सामने राहुल हर बार सेल्फ गोल जैसा बयान दे देते हैं, जिससे सवाल उठने लगते हैं कि आखिर राजनीति में उनका 'ग्रेजुएशन' कब पूरा होगा?  

बैकफुट पर गई बीजेपी को मिला फ्रंटफुट पर आने का मौका

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर के फैसले पर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस ने खुलकर ये सवाल मोदी सरकार से किया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी सरकार को थोड़ा पॉलिटिकली माइलेज भी मिला था, लेकिन सीजफायर के ऐलान से वो कुछ ही देर रहा. बीजेपी ही नहीं, देश के रिटायर्ड सैन्य अधिकारी भी दबे स्वर में सीजफायर के फैसले को सही नहीं मान रहे थे. बीजेपी को जो फायदा मिला था, वो खोता हुआ लगने लगा. 

 

कांग्रेस ने फौरन ये मौका लपका और अचानक इंदिरा गांधी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगीं. कांग्रेस ने तो बकायदा एक कविता इंदिरा गांधी और पीएम मोदी की फोटो के साथ जारी कर दी. साथ ही मोदी सरकार की खिंचाई करते हुए कहने लगी कि अमेरिकी दबाव में ये सीजफायर किया गया है. राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर दी. ये मांग कितनी 'गंभीर' थी, इसकी झलक कांग्रेस के ही सहयोगी दलों ने बता दी. राष्ट्रवाद को तरजीह देते हुए कांग्रेस के दोस्तों ने ही उनकी इस मांग से किनारा करते हुए इसे गैरजरूरी करार दिया. शरद पवार ने तो साफ-साफ राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर संसद में चर्चा की मांग को ही गलत कह दिया. अखिलेश यादव और ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने भी ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र की मांग को खारिज कर दिया.

जयशंकर को मुखबिर बोल राफेल पर सवाल कितना जायज?

विदेशमंत्री जयशंकर ने इस बीच मीडिया में आकर कहा कि ऑपरेशन की शुरुआत में हमने पाकिस्तान को संदेश भेजा था कि हम आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं. हम सेना पर हमला नहीं कर रहे हैं. इसलिए सेना के पास इस काम में दखल न करने, और अलग रहने का विकल्प है. उनके बयान पर कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार को घेरा. बाद में राहुल गांधी ने कुछ और सवाल दाग दिए. राहुल गांधी ने वक्त की नजाकत को नजरअंदाज करते हुए अपने पुराने अंदाज में सरकार को निशाने पर लिया और जयशंकर को 'मुखबिर' तक का तमगा दे दिया. हमारे कितने राफेल गिरे? जैसे राहुल गांधी के सवालों पर कांग्रेस के ही कई कद्दावर नेताओं ने चुप्पी साध ली. सलमान खुर्शीद और पी चिदंबरम जैसे दिग्गजों ने राहुल के बयान से एक तरह से किनारा कर लिया. युद्धकाल में बतौर नेता विपक्ष ऐसे सवाल करना सियासी अपरिपक्वता की निशानी ज्यादा लगती है. 

पाकिस्तान को मिल जा रहा मौका

ऐसे संवेदनशील मौकों पर सवालों के तीर कांग्रेस या राहुल गांधी पहले भी छोड़ते रहे हैं. साल 2016 में उरी अटैक के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर 2019 में पुलवामा हमले के बाद हुई एयर स्ट्राइक... इन दोनों ही समय में कांग्रेस ने कुछ ऐसे सवाल किए जो न पूछे जाते तो बेहतर होता. ऐसे सवालों की बदौलत ही पाकिस्तान को वैश्विक बिरादरी में भारत पर इलजाम लगाने की हिम्मत मिल जाती है. 

आज कांग्रेस करेगी प्रवक्ताओं की वर्कशॉप

ऑपरेशन सिंदूर पर एक तरह से पार्टी दो धड़ों में बंटती दिख रही है. इसी वजह से कांग्रेस पार्टी अपने प्रवक्ताओं को पार्टी लाइन समझाने के लिए आज एक वर्कशॉप करने जा रही है. इसमें सभी राष्ट्रीय प्रवक्ताओं और स्टेट मीडिया प्रभारी को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. इस वर्कशॉप में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, जयराम रमेश और पवन खेड़ा रहेंगे.

कंप्लीट नॉनसेंस बोलकर तोड़ा मनमोहन का दिल

कांग्रेस के 'युवा नेता' राहुल गांधी ने साल 2004 में अमेठी से सांसद बनकर सियासी पारी शुरू की. शुरू के 10 साल तो वे कांग्रेस के युवराज ही रहे. इन 10 सालों में राहुल बिना कोई पद लिए गरीब, किसान, युवाओं की आवाज बुलंद करते रहे. मनमोहन सिंह के दौर UPA-1 और UPA-2 में राहुल जो मन आता था करते और कहते थे. मनमोहन कैबिनेट से पास कानून के ड्राफ्ट की कॉपी राहुल गांधी ने 'कंप्लीट नॉनसेंस' बोलकर फाड़ दिया था. जिस तेवर में राहुल ने कॉपी को फाड़ा, उससे मनमोहन बेहद आहत हुए थे. योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अपनी किताब 'बैकस्टेज- द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ इयर्स' में खुलासा भी किया था कि राहुल की इस हरकत से मनमोहन सिंह इस्तीफा तक देने पर विचार करने लगे थे. 

बयान से ही गई सांसदी, माफी भी मांगनी पड़ी

आवेश में राहुल गांधी कई बार पार्टी की फजीहत करा चुके हैं. साल 2019 में जब नीरव मोदी का मामला तूल पकड़े हुए था, तब ऐसे ही कर्नाटक की रैली में राहुल ने सवाल कर दिया था कि सभी चोरों का नाम मोदी क्यों है? बस फिर क्या था... मोदी ने इसे गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया और नतीजा ये हुआ कि राहुल पर केस चला, सजा हुई और सांसदी गई. राफेल डील होने के दौरान भी राहुल ने नारा उछाला था- चौकीदार चोर है... इसका हासिल भी ये हुआ कि राहुल को माफी मांगनी पड़ी.

 

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