Raj Thackeray Ganga Jal: इस देश में हिंदुओं की आस्था पर सवाल उठाना, मजाक उड़ाना आसान है. राज ठाकरे ने गंगाजल को गंदाजल बताकर लाखों सनातनियों की आस्था को ठेस पहुंचाई. जिसके बाद उनका इतना विरोध हुआ कि लोग माफी मांगने की बात कह रहे हैं. राज ठाकरे ने कुंभ में डुबकी लगाने वालों पर तंज कसते हुए जो कुछ कहा उस पर लोगों की प्रतिक्रियाओं का जो दौर शुरू हुआ वो थमा नहीं है. लोगों ने शहर-शहर मां गंगा के पवित्र जल से आचमन कर बता दिया कि दूषित किसी का दिमाग है, गंगाजल नहीं.
राज ठाकरे को गंगा किनारे से जवाब
कई शहरों में गंगा किनारे से लोगों ने गंगाजल का आचमन करके ये जवाब राज ठाकरे को दिया है.दरअसल राज ठाकरे को ये लगता है कि महाकुंभ का गंगाजल, गंदाजल है. ऐसे में गंगाजल का आचमन करके लोगों ने साफ-साफ बता दिया है कि मां गंगा उनके लिए पवित्र थीं, है और हमेशा रहेगी.
जिस गंगाजल को राज ठाकरे छूना भी नहीं चाहते. उसे पीकर लोगों ने ये बता दिया आस्था का अपमान नहीं सहेंगे.
आक्रोश बरकरार
राज ठाकरे महाकुंभ में गए थे कि नहीं गए? इस सवाल से इतर पूछा ये जा रहा है कि उन्हें कबस कहां और कैसे गंगाजल के बारे में ये बेसिर-पैर की जानकारी मिली. राज ठाकरे को शायद ये पता नहीं था कि गंगा नदी जो सनातनियों की जीवनशैली, आस्था और विश्वास से जुड़ी है इसलिए उन्हें जोश-जोश में इतना नहीं बोलना चाहिए था कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचती. उन्होंने मां गंगा से जुड़ी श्रद्धा पर सवाल खड़ा कर दिया इसलिए बहुत से सनातनी राज ठाकरे पर आक्रोशित है.
राज ठाकरे के जिस बयान पर विवाद हो रहा है. वो दरअसल उन्होंने अपनी पार्टी MNS के स्थापना दिवस पर कार्यक्रम में दिया. कार्यकर्ताओं में जोश भरने की जगह उन्होंने गंगाजल पर गंदा ज्ञान दे दिया.
बयान पर बवाल
राज ठाकरे के लिए गंगाजल से आचमन करने वालों ने कहा, 'गंगाजल पर बयान देने से पहले अगर वो सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट पढ़ लेते तो उनसे ये पाप नहीं होता. दरअसल CPCB ने अपनी ताजा रिपोर्ट में ये बताया है कि प्रयागराज में संगम का पानी स्नान के लिए उपयुक्त था. ये रिपोर्ट NGT को सौंपी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो गंगाजल की गुणवत्ता प्रमुख मानकों पर खरी उतरी. रिपोर्ट को महाकुंभ के समापन के बाद 28 फरवरी को तैयार किया गया था. NGT की वेबसाइट पर ये रिपोर्ट 7 मार्च को अपलोड की गई है और कोई भी इसे देख सकता है.
अयोध्या के महंत सीताराम दास ने कहा, 'सीपीसीबी ने नई रिपोर्ट गंगा का पानी साफ बताया गया है. राज ठाकरे के अपमानजनक बोल पर सियासत भी खूब हो रही है. बीजेपी ने राज ठाकरे को आईना दिखाया तो शिवसेना को भी राज ठाकरे के बोल ठीक नहीं लगे.
एक ही सवाल 'महाकुंभ का अपमान क्यों?'
शिवसेना नेता नरेश म्हस्के और मंत्री नीतेश राणे का भी बयान आया. चूंकि मामला सनातनी आस्था से जुड़ा है, उस महाकुंभ से जुड़ा है जिसमें 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है. इसलिए कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी दोनों ही संभलकर बयान दे रही हैं ताकि राज ठाकरे की तरह वो भी अपने बयान को लेकर मुश्किल में न आ जाएं.
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि 'संगम की हर बूंद पवित्र' है. वहीं NCP(शरद पवार) के नेता रोहित पवार ने कहा, 'नेताओं को सोच समझकर बोलना चाहिए.' राज ठाकरे को लगता है कि देश में एक भी नदी ऐसी नहीं है, जो स्वच्छ और निर्मल है. राज ठाकरे ने शायद उन करोड़ों श्रद्धालु की बातें भी नहीं सुनी. जो संगम तट में डुबकी लगाकर खुद को धन्य मान रहे थे. गंगाजल का अपमान कर राज ठाकरे ने 66 करोड़ लोगों का अपमान किया है. कुछ लोग ये सवाल भी पूछ रहे हैं कि क्या राज ठाकरे लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगेगे.
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