Raj Thackeray-Uddhav Thackeray Alliance: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे का रविवार यानी 27 जुलाई को जन्मदिन था और इस मौके पर उनके चचेरे भाई राज ठाकरे बधाई देने के लिए सीधे उनके घर मातोश्री पहुंच गए. दोनों भाइयों की पिछले 20 दिनों में यह दूसरी मुलाकात है. राज ठाकरे का मातोश्री जाना इसलिए भी खास है, क्योंकि 13 साल बाद यहां पहुंचे है. 20 साल से एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे ठाकरे ब्रदर्स के मिलन के कई मायने है और इससे कई राजनीतिक दलों की नींद उड़ सकती है. इस साल होने वाले बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव और राज के बीच गठबंधन की अटकलों ने महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान ला दिया है. लेकिन, महाविकास अघाड़ी, भारतीय जनता पार्टी या एकनाथ शिंदे, किसको सबसे ज्यादा नुकसान होगा?
तो क्या उद्धव और राज ठाकरे मिलकर लड़ेगें बीएमसी चुनाव?
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे इससे पहले 5 जुलाई को एक साथ आए थे, जब हिंदी विरोध को मुंबई के वर्ली डोम में एक रैली में दोनों शामिल हुए थे. तब उद्धव ठाकरे ने 'साथ रहने के लिए साथ आए हैं' तक का ऐलान कर दिया था. तब से दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक गठबंधन के चर्चे हैं. हालांकि, राज ठाकरे किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं और नासिक में कार्यकर्ता सम्मेलन में उन्होंने ऑफ द रिकॉर्ड कहा था कि राजनीतिक गठबंधन पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि, अब जब दोनों भाई एक बार फिर साथ आए हैं तो अटकलें फिर तेज हो गई हैं और कहा जाने लगा है कि हो सकता है कि दोनों मिलकर बीएमसी का चुनाव लड़ें.
उद्धव-राज में गठबंधन हुआ तो किसको होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच गठबंधन होता है तो सबसे बड़ा सवाल है कि इसका सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा. इसके साथ ही दोनों के मिलन से किसे ज्यादा नुकसान होगा. शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस मुलाकात के बाद कहा है कि यह केवल एक पारिवारिक मुलाकात थी, इसके पीछे किसी प्रकार की राजनीतिक अटकलें लगाना अनुचित है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि कभी-कभी हमारी राजनीतिक मजबूरियां होती हैं, हमारे मंच अलग होते हैं. जब बात मराठी मानुष और महाराष्ट्र की अस्मिता की हो तो एक मंच पर आना स्वाभाविक प्रक्रिया है. कोई भी राजनीति हमारे देश, प्रदेश और समाज से बड़ी नहीं है. हमारी सरकार गिरा दी गई, पार्टी और नाम तक चुरा ली गई, लेकिन जनता के दिल से विश्वास कैसे चुराओगे. जब भी ठाकरे परिवार में कोई कार्यक्रम होता है तो सब एकत्रित होते हैं. दोनों ही बाला साहेब ठाकरे की गोद में पले-बढ़े नेता हैं तो क्यों नहीं मिलेंगे. इस माहौल को देखकर कुछ लोगों को परेशानी हो रही है. इसके बाद चर्चा है कि क्या ठाकरे ब्रदर्स मराठी वोटर्स को साधने की कोशिश कर रहे हैं.
उद्धव-राज के बीच गठबंधन होता है तो महाविकास अघाड़ी का क्या होगा?
इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन होता है तो शिवसेना (यूबीटी) के साथ महाविकास अघाड़ी (MVA) में शामिल कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) का रुख क्या होगा. इस पर किसी तरह का आधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन हाल ही में समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आजमी ने दावा किया था कि यदि उद्धव और राज एक साथ चुनाव लड़ते हैं तो महा विकास अघाड़ी में फूट पड़ सकती है. हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने इसे पारिवारिक मामला बताया था और कहा था कि कांग्रेस केवल शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे और एनसीपी (एसपी) के शरद पवार के साथ गठबंधन के मामलों पर चर्चा करेगी. सीटों के बंटवारे पर उन्होंने कहा था कि अगर वो उप-गठबंधन करना चाहते हैं तो यह उनका फैसला होगा. हम तो गठबंधन सहयोगियों से सीटों का बंटवारा करेंगे. लेकिन, वो किसके साथ उप-गठबंधन करते हैं, यह पूरी तरह से उनका फैसला है.
उद्धव-राज के गठबंधन से एकनाथ शिंदे का क्या होगा?
एकनाथ शिंदे ने साल 2022 में शिवसेना में बगावत करते हुए पार्टी पर दावा ठोक दिया था. उसके बाद से ही एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच बाल ठाकरे के विरासत को लेकर लड़ाई जारी है. विधानसभा चुनावों में एकनाथ शिंदे की पार्टी ने उद्धव को नुकसान पहुंचाया और ज्यादा सीटें हासिल कर बालासाहेब की विरासत पर अधिकार जमाने का दावा कर दिया. लेकिन, असली परीक्षा बीएमसी चुनाव में है और इसके बाद ही तय हो पाएगा कि मराठा वोटर्स पर किसका दबदबा है. हालांकि, अगर उद्धव और राज एक साथ आते हैं तो मराठी वोटर्स के उनके साथ जाने की संभावना ज्यादा जताई जा रही है, ऐसे में एकनाथ शिंदे को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
उद्धव-राज के मिलन को बीजेपी कैसे देख रही है?
उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर राज ठाकरे की 'मातोश्री' पहुंचने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान आया है. उन्होंने उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर बधाई दी और कहा कि इस मुलाकात को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि किसी को भी इस तरह के पत्र लिखकर विवाद पैदा नहीं करना चाहिए. मंत्रियों को एक-दूसरे के साथ संवाद करना चाहिए और अगर किसी मंत्री को कोई समस्या है, तो उन्हें सीधे मेरे पास आना चाहिए ताकि उसका समाधान किया जा सके. भले ही देवेंद्र फडणवीस ने इस पर खुलकर बात ना कि हो लेकिन, अगर उद्धव और राज ठाकरे साथ आते हैं तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है. क्योंकि, मराठी वोटर्स के साथ-साथ मुस्लिम वोटर्स भी ठाकरे ब्रदर्स के साथ जा सकते हैं, जिनका बीएमसी चुनाव में अहम रोल है.
राज ठाकरे पर उद्धव ठाकरे के मिलन पर जरूरी सवाल-जवाब
1. राज ठाकरे का मातोश्री जाना इतना खास क्यों माना जा रहा है?
राज ठाकरे का मातोश्री जाना इसलिए खास है, क्योंकि वह 13 साल बाद अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के निवास स्थान मातोश्री पहुंचे हैं. यह मुलाकात 20 साल से एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे ठाकरे ब्रदर्स के बीच संभावित राजनीतिक सुलह का संकेत देती है.
2. उद्धव और राज ठाकरे के बीच गठबंधन की अटकलें कब से तेज हुई हैं?
उद्धव और राज ठाकरे के बीच गठबंधन की अटकलें 5 जुलाई को तब तेज हुईं, जब वे मुंबई के वर्ली डोम में हिंदी विरोध रैली में एक साथ शामिल हुए थे.
3. यदि उद्धव और राज ठाकरे के बीच गठबंधन होता है, तो सबसे ज्यादा नुकसान किसे होगा?
यदि उद्धव और राज ठाकरे के बीच गठबंधन होता है तो सबसे ज्यादा नुकसान एकनाथ शिंदे गुट और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को होने की संभावना है.
4. उद्धव-राज गठबंधन से महाविकास अघाड़ी (MVA) पर क्या असर पड़ेगा?
अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन होता है तो महाविकास अघाड़ी (MVA) में शामिल कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) का रुख क्या होगा, यह एक बड़ा सवाल है. इस पर अभी तक किसी का आधिकारिक बयान नहीं आया है.
5. भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट उद्धव-राज की इस नजदीकी को कैसे देख रहे हैं?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे के मातोश्री पहुंचने को राजनीतिक चश्मे से न देखने की बात कही है और इसे एक पारिवारिक मुलाकात बताया है.