trendingNow12584441
Hindi News >>देश
Advertisement

Raj Thackeray का बेटे की हार के बाद पहली बार छलका दर्द, कहा- वोट देते समय...

MNS Leader Raj Thackeray ने कहा कि लोग समस्याओं के समाधान के लिए मनसे के पास आते हैं, वोट देते समय इसे भूल जाते हैं.

Raj Thackeray का बेटे की हार के बाद पहली बार छलका दर्द, कहा- वोट देते समय...
Atul Chaturvedi|Updated: Jan 02, 2025, 12:06 PM IST
Share

Maharashtra Politics: महाराष्‍ट्र विधानसभा में महायुति (बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी) को छोड़कर वैसे तो सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ हो गया लेकिन राज ठाकरे की महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का इस बार खाता भी नहीं खुला. विधानसभा के 20 नवंबर को हुए चुनाव में मनसे ने 288 विधानसभा सीट में से 125 सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे कोई सीट नहीं मिली. राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी मुंबई के माहिम से हार गए. इस करारी हार के बाद पहली बार राज ठाकरे ने प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है. उन्‍होंने कहा कि जब लोग किसी समस्या का समाधान चाहते हैं तो वे उनकी पार्टी के पास आते हैं लेकिन चुनाव के दिन इसे नजरअंदाज कर देते हैं.

ठाकरे ने नए साल पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक संदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं से चुनाव परिणामों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की अपील की और कहा कि वह जल्द ही उनसे बात करेंगे तथा भविष्य के कदम पर व्यापक दिशा-निर्देश देंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘...कुछ चीजें नहीं बदली हैं...लोग हर समस्या के समाधान के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को याद करते हैं लेकिन वोट देते समय इसे नजरअंदाज कर देते हैं.’’ ठाकरे ने यह भी दावा किया कि चुनाव नतीजों के कुछ ही हफ्ते बाद राज्य में मराठी भाषियों का ‘‘उत्पीड़न’’ शुरू हो गया. उन्होंने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि मनसे इन मामलों में कदम उठाएगी और उसने वैसा किया. मनसे प्रमुख ने कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि ‘मराठी मानुस’ का इस्तेमाल केवल वोट के लिए किया जा रहा है. 

हिजबुल्‍लाह पेजर अटैक के बाद 'गायब' हुए रहस्‍यमयी इंडियन का खुला राज

उद्धव और राज ठाकरे
विधानसभा में चुनावी हार के बाद महाराष्‍ट्र के सियासी गलियारे में पुरानी शिवसेना को मजबूत करने के इरादे से इन दोनों चचेरे भाइयों के फिर से एक साथ आने की मांग उठ रही है. दिसंबर में पारिवारिक शादियों में उद्धव और राज ठाकरे की एक साथ मौजूदगी के बाद इस तरह की चर्चाएं उठी हैं. 2006 में शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की थी. इसके बाद दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़ते गए और उन्होंने एक-दूसरे पर कई बार तीखे हमले भी किए. लेकिन पारिवारिक आयोजनों में उनकी मुलाकात होती रही हैं. 

राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाती रही हैं, जिससे दोनों को नुकसान हुआ है. आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनावों के मद्देनजर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि दोनों पार्टियां मराठी वोटों को मजबूत करने के लिए गठबंधन कर सकती हैं. लेकिन यह सिर्फ कयास ही है.

Read More
{}{}