Ajmer News: राजस्थान के अजमेर संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में एक MRI टेक्नीशियन के पेट से एक रुपये का सिक्का निकाला गया. युवती ने 4 साल की उम्र में खेलते समय यह सिक्का निगल लिया था. मामला तब सामने आया जब 20 साल युवती ने ड्यूटी के दौरान खुद की MRI की और उसे पेट में खिंचाव महसूस हुआ. एक्स-रे में सिक्का पेट में होने का पता चला.
3 मार्च को JLN हॉस्पिटल में एंडोस्कोपी मशीन से सिक्का निकाला गया. इसमें करीब 30 मिनट का समय लगा. प्राइवेट अस्पतालों में इस प्रक्रिया का खर्च करीब 25 हजार रुपये आता है लेकिन जेएलएन अस्पताल में मुख्यमंत्री आयुष्मान योजना के तहत यह निशुल्क किया गया.
डॉक्टरों का कहना है कि राजस्थान में ऐसा पहला केस है. उनके अनुसार, लंबे समय तक सिक्का अंदर रहने से पेट में अल्सर बन जाते हैं और आंतों में घाव हो सकते हैं.
जेएलएन हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉ. अनिल सामरिया ने बताया कि युवती के परिजनों का कहना था कि उसने 4 साल की उम्र में खेलते-खेलते सिक्का निगला था तब परेशानी न होने पर डॉक्टरों को नहीं दिखाया गया था.
अब पेट में खिंचाव होने पर युवती और उसके परिजनों ने जेएलएन मेडिकल कॉलेज के गेस्ट्रोलॉजी विभाग में परामर्श लिया तब एक्स-रे से पता चला कि मरीज के पेट में सिक्का चिपका हुआ.
विभाग अध्यक्ष डॉक्टर एमपी शर्मा के मार्गदर्शन में टीम ने युवती के पेट से 16 साल पुराना एक रुपये का सिक्का एंडोस्कोपी से निकाला. इस प्रोसेस में करीब 30 मिनट का समय लगा. प्राइवेट में करीब 25 हजार खर्चा आता है. जेएलएन अस्पताल में मुख्यमंत्री आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क यह प्रक्रिया किया गया.
डॉ.एमपी शर्मा ने बताया कि मरीज एक MRI टेक्नीशियन है. MRI के अंदर अगर यह सिक्का खाया हुआ होता तो एमआरआई करते समय आंतें फटने का डर रहता है. कई बार मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है. लंबे समय तक सिक्का अंदर रहने से पेट में अल्सर बन जाते हैं, आंतों में घाव हो जाते हैं और ब्लीडिंग शुरू होती है. जब भी सिक्का अंदर जाए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है.