Alwar News: राजस्थान के अलवर में चिटफंड कंपनियों द्वारा ठगी के पैसों की रिकवरी हेतु काउंटर खुलवाने के लिए एक बैठक की गई. जिसमें सभी ने एक राय निर्णय लिया कि अगर जल्दी ही अलवर जिला कलेक्टर द्वारा भुगतान पटल शुरू नहीं किया गया तो भविष्य में बड़ा आंदोलन किया जाएगा. जिसका जिम्मेदार प्रशासन होगा.
हालांकि कुछ जिलों में भुगतान पटल शुरू कर दिया गया है लेकिन अलवर में अभी तक शुरू नहीं किया गया है. अलवर में बहुत से लोग कर्ज में डूब चुके हैं, जो पहले अच्छा काम करते थे. वो आजकल मजदूरी करने को मजबूर है .कुछ लोगों ने तो अपने जीवन यापन के लिए पंचर की दुकान तक कर रखी है. हालांकि पिछले ज्ञापन में एक सप्ताह का समय दिया गया था लेकिन अभी तक काउंटर नहीं खोला गया.
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वहीं, राजस्थान तप जप संघटन का प्रदेश प्रवक्ता ब्रजमोहन योगी ने कहा कि 2 से 2.5 करोड़ से अधिक कंपनियों के शिकार लोगों को आखिर कब न्याय मिलेगा .अब जैसे कोरोना काल मे मोदी सरकार ने लोगो को थाली चिमटा बजाने को कहा था. वैसे ही अब ठगी पीड़ित परिवार 9 अप्रैल को थाली, चिमटा बजाकर गहरी निंद्रा में सो रहे मोदी जी को जगाने का काम करेगा और मोदी और उसकी सरकार का जमकर बहिष्कार किया जाएगा.
बता दें कि ठगी से परेशान पीड़ित ने कहा कि पिछली बार जब ज्ञापन दिया गया था. उस समय आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में काउंटर खोला जाएगा लेकिन अभी तक काउंटर नहीं खोला गया. एक तरफ तो सरकार कह रही है कि 180 दिनों में पैसे मिल जाएंगे लेकिन छह वर्ष बीत गए. अभी तक समस्या वैसी ही बनी हुई है. यहां तक कि काउंटर तक ही नहीं लगाए गए हैं जबकि राजस्थान में कुछ जिलों में पोर्टल काउंटर खुल गए हैं. जहां लोगों की ओर से अपनी समस्याओं के साथ दस्तावेज भी जमा करवा दिए गए हैं.
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इसके बाद अब उन लोगों को जल्दी ही उनके रुपये मिलने शुरू हो जाएंगे. अलवर में कितनी ही बार धरना प्रदर्शन किया जा चुका और कितनी बार ही ज्ञापन दिया जा चुका लेकिन यहां के जिला कलेक्टर सुनने को तैयार नहीं है. लेकिन कोई भी अपनी कार्यप्रणाली के अनुसार, काम करने को तैयार नहीं है. आखिर कब तक ये ठगी पीड़ित लोग दर-दर की ठोकरें खाते रहेंगे.
साल 2019 के कानून के तहत कहा गया था कि तुरंत पोर्टल काउंटर खोला जाए और 180 दिनों में पैसे दिये जाएं लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला है. पैसे की रिकवरी नहीं होने की वजह से कुछ लोगों ने तो आस ही छोड़ दी और लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं. कुछ लोग कर्ज के चक्कर में अपना स्थान छोड़कर पलायन कर गए और दूसरी जगह जाकर रहने लगे हैं. लेकिन अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है.