Rajasthan News: राजस्थान सरकार लोगों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज देने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसके लिए सरकार स्वास्थ्य सुविधा में लगातार बढ़ोतरी कर रही है. इसी कड़ी में ग्रामीण क्षेत्रों में घर पर ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके. इस उद्देश्य से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन किया गया.
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बता दें कि मोबाइल मेडिकल यूनिट अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक एंबुलेंस बस है. जिसमें ब्लड, यूरीन सहित अन्य प्रकार की जांचों की सुविधा उपलब्ध हैं. बाहरी क्षेत्र में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को इलाज और जांच के लिए स्वास्थ्य केंद्रों या अस्पताल के चक्कर नहीं काटने पड़े. इसी कारण मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन किया गया.
एमएमयु एक चलता-फिरता अस्पताल है, जिसमें डॉक्टर, एएनएम कार्यकर्ता, पायलट और लैब असिस्टेंट सुदूर इलाकों में जाकर इलाज करते हैं और इन क्षेत्रों के जरूरतमंद लोगों को निदान जांच रिपोर्ट और मुफ्त दवाएं भी प्रदान की जाती है. अधिकारीयों की लापरवाही कहें या अनदेखी सरकार तो लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना चाहती है.
लेकिन अधिकारियों की अनदेखी व लापरवाही से स्वास्थ्य सुविधाएं जन-जन तक नहीं पहुंच पा रही है. नौगांवा स्वास्थ्य सामुदायिक केंद्र को अगस्त 2022 में मोबाइल मेडिकल यूनिट प्रदान की गई थी, लेकिन लगभग 30 माह बीत जाने के बाद भी यूनिट का संचालन नहीं किया गया. जिसके कारण 50 लाख की लागत से बनी मोबाइल मेडिकल यूनिट खड़े-खड़े कबाड़ हो रही है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी अलवर योगेंद्र शर्मा का कहना है कि एमएमयू एक संस्थान के द्वारा दी गई थी. इसके संचालन के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है. एमएमयू के संचालन के लिए मेडीकल ऑफिसर नर्सिंग ऑफिसर सहित अन्य स्टाफ की आवश्यकता है. राजस्थान से स्टाफ मिलने के बाद ही इसका संचालन हो पाएगा. सीएमएचओ का कहना है कि अभी इसके संचालन में करीब 6 से 7 माह और लग सकते हैं.