Banswara News: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में बड़ोदिया कस्बे के लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में रात 12 बजे ढोल बज रहा हैं, युवा नाच रहे हैं, पंडित विवाह की तैयारी कर रहे हैं और गांव के युवा जिन्हें होली के गेरिये कहा जाता है. ये गेरिये दो बच्चों के घर गए और कंधों पर उठाकर ले आए.
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दूल्हे को पेंट शर्ट और पगड़ी पहनाई, हाथ में तलवार भी थमाई. दूसरे बच्चे को दुल्हन की साड़ी पहना दी. इस बीच दोनों बच्चों ने बरसों से चली आ रही परंपरा के तहत एक दूसरे को माला पहनाई, अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए. हस्त मिलाप की रस्म भी निभाई, पंडित ने मंत्र पढ़े.
दोनों बच्चों की शादी समारोह में गांव के युवा खूब नाचे. गांव के मुखिया नाथजी पटेल व विवेकानंद महाराज ने बताया कि शादी तो एक रस्म है, जो कि गांव को श्राप से मुक्ति के लिए बड़ोदिया में होली की पहले दिन की रात को दो बच्चों की शादी कराई जाती है. ग्रामीणों ने फागुनी मस्ती के मंगल गीत गाए.
वर ने वधु की मांग भरी, मंगल सूत्र पहनाया, वरमाला की रस्म अदा की. हस्तमिलाप छोड़ने और मामेरा की रस्म हुई. इसमें किसी ने नकद राशि दी, तो किसी ने चॉकलेट, बिस्किट, मीठा पान खिलाकर मामेरा की रस्म अदायगी की. यह परंपरा इस गांव में कई सालों से चली आ रही है.
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