Beawar Badshah Mela 2025: ब्यावर में इस वर्ष 15 मार्च को धुलंडी के दिन 174 वां बादशाह मेला परंपरागत हर्षोल्लास और उल्लासपूर्ण वातावरण में शुरू किया गया. इस वर्ष मेले को और भी भव्य रूप देने के लिए देशी-विदेशी मेहमानों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है.
ब्यावर का ऐतिहासिक बादशाह मेला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में अपनी अनोखी परंपराओं और उमंग-उल्लास के लिए प्रसिद्ध है. धुलंडी पर आयोजित होने वाले इस मेले की रौनक ही कुछ अलग होती है. चारों ओर गुलाल की रंग-बिरंगी बारिश और “आओ बादशाह आओ” के जयघोष के साथ सारा शहर उत्सव में डूब जाता है.
मेले की सबसे खास बात होती है बीरबल का प्रसिद्ध नृत्य, जिसमें लोक कलाकार रंग-बिरंगे परिधानों में सजीव अभिनय करते हैं और लोगों का भरपूर मनोरंजन करते हैं. यह नृत्य बादशाह के स्वागत का प्रतीक माना जाता है. यह परंपरा पिछले 170 सालों से लगातार चली आ रही है और आज भी उतनी ही ऊर्जा और श्रद्धा से निभाई जाती है.
बादशाह मेला सिर्फ रंगों और नृत्य का नहीं, बल्कि आस्था और मान्यताओं का भी केंद्र है. यहां बादशाह द्वारा बांटी जाने वाली खर्ची को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि बादशाह की खर्ची पाने वाला व्यक्ति साल भर सफलता और खुशहाली प्राप्त करता है. इसी कारण लोग घंटों कतार में लगकर खर्ची पाने की होड़ में लगे रहते हैं.
बता दें कि बादशाह मेला टोडरमल अग्रवाल की स्मृति में आयोजित होता है, जिन्हें ढाई दिन की बादशाहत प्राप्त हुई थी. इस अल्पकालिक शासनकाल में उन्होंने जनकल्याण के अनेक कार्य किए थे. उनकी इसी लोकसेवा भावना को सम्मान देते हुए यह मेला आयोजित किया जाता है. इस दौरान अबीर-गुलाल को प्रतीकात्मक रूप से 'खर्ची' के रूप में बांटा जाता है.