Bharatpur News : राजस्थान विधानसभा में भरतपुर से विधायक सुभाष गर्ग ने कहा कि मैं BDA के विरोध में नहीं हूं, लेकिन इसकी खामियों तो दूर की जाएं. गर्ग ने कहा कि जनता अधिकारियों से परेशान होकर ट्रिब्यूनल में जाती है, लेकिन उसमें भी न्यायिक अधिकारी के प्रावधान नहीं है.
भरतपुर विकास प्राधिकरण के विधेयक पर चर्चा के दौरान विधायक डॉ सुभाष गर्ग ने कहा कि मैं बीडीए के विरोध में नहीं, लेकिन खामियां तो दूर कराओ. गर्ग ने कहा कि विकास प्राधिकरण और नगर निगम बनाने के लिए क्या गाइडलाइंस हैं?
आमतौर पर इससे पहले जनसंख्या ही आधार रहा है. गर्ग बोले - पहले इस पर अध्यादेश लाया गया और उसकी आज आखिरी तारीख होने के चलते, आनन–फानन में इस विधेयक को सदन में लाया गया है.
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सुभाष गर्ग ने कहा कि जब भी किसी प्राधिकरण को घोषित किया जाता है. तो जनसंख्या ही आधार होती है..इसके अलावा नगरीय विकास मंत्रालय या राज्य सरकार की भी कोई गाइडलाइंस हों.. तो उससे भी अवगत कराया जाए..गर्ग बोले की भरतपुर विकास प्राधिकरण लाना अच्छी बात है. मैं इसके विरोध में नहीं हूं.
लेकिन लाने से पहले 6–7 महीने इस पर स्टडी करते. जनमत जानने के लिए भेजा जाता. मैं खुद भरतपुर से विधायक हूं और मुझे ही नहीं मालूम कि इस पर अध्यादेश कब आया ? उससे पहले क्या एक्सरसाइज की गई ? गर्ग ने कहा कि अध्यादेश आया तो पता लग गया, लेकिन उससे पहले क्या स्टडी की गई ? कोई एक्सरसाइज की या नहीं की ? गवर्नमेंट अथॉरिटी बिल लेकर आई. लेकिन इसके बारे में कोई कंसल्टेशन जनप्रतिनिधियों से नहीं किया गया.
सुभाष गर्ग के बोलने के दौरान सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि क्या आपको अध्यादेश का पता नहीं चला. इससे सिद्ध होता है कि वहां का एमएलए जागरूक नहीं है. बिल आ गया और आपको पता ही नहीं . जिस पर सुभाष गर्ग बोले कि यह कोई विवाद का मुद्दा नहीं है. ना मैं कोई आलोचना कर रहा हूं.
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गर्ग ने कहा कि मैं अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं और मंत्री जी इसे ध्यान में रखें. आगे बोलते हुए सुभाष गर्ग ने कहा कि 1982 में जेडीए बनाया गया था. 1982 में जब जेडीए बनाया गया, तब उसके दायरे में जनसंख्या 10 लाख थी. जबकि बीकानेर की जनसंख्या 2031 में 11 लाख होगी. 2021 में तो जनसंख्या 6 लाख 44 हजार थी.
वहीं भरतपुर की जनसंख्या अभी 3 लाख 28 हज़ार है. वह 2021 में 4 लाख 36 हजार होगी. सरकार ने आनन–फानन में BDA का विस्तार किया. उससे गांव वालों को बड़ी परेशानी हो रही है. 20 साल या 15 साल बाद इस सत्य को आप लोग महसूस करेंगे.
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सुभाष गर्ग ने ज्यूडिशरी ऑफिसर का प्रावधान नहीं होने पर भी सवाल किया और कहा कि जनता स्टेट ऑफिसर से तंग होकर ही ट्रिब्यूनल कोर्ट में जाती है. वहां ज्यूडिशरी शब्द डाला जाए. इसमें सांसद विधायक भी नहीं हैं. मेयर और जिला प्रमुख हैं, लेकिन विधायक सांसद नहीं. आप अपने अधिकारों का खुद ही हनन कर रहे हैं. उस क्षेत्र से आने वाले सांसद विधायक का इसमें कोई पार्टिसिपेशन नहीं है.
गर्ग बोले - इस बिल में कई गलतियां हैं और कंट्राडिक्शन भी हैं. उस पर मैं जाना नहीं चाह रहा. लेकिन एक क्लॉज में कंट्राडिक्शन हैं. गर्ग ने कहा कि अगर एमपी–एमएलए इसके सदस्य बनते हैं. तो उस मेंबरशिप पर क्या होगा, ये दिखवाएं.
मैं बिल के विरोध में नहीं हूं. अच्छी चीज है, लेकिन बिना इसके विस्तार की आवश्यकता को देखते हुए. जरूरत है या नहीं ? कोई स्टडी नहीं, कहीं डीपीआर नहीं. ना कोई एक्सरसाइज की गई.
गर्ग के मुताबिक ये एक राजनीतिक फैसला है, लेकिन इसकी वर्किंग में जो परेशानी आएगी वो आप समझते हैं ?