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Bhilwara News: बहन के घर मायरा भरने भाई का अनोखा तरीका, पारंपरिक यात्रा ने जीता सबका दिल...

 भीलवाड़ा के मोटरों का खेड़ा में एक अनोखा और पारंपरिक दृश्य देखने को मिला. यहां भाईयों ने अपनी बहन का मायरा बैलगाड़ी से भरा, जो एक पारंपरिक तरीका है.

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Bhilwara News: बहन के घर मायरा भरने भाई का अनोखा तरीका, पारंपरिक यात्रा ने जीता सबका दिल...
Zee Rajasthan Web Team|Updated: Feb 28, 2025, 01:14 PM IST
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Brother Reached Sister's Village By Bullcort: भीलवाड़ा के मोटरों का खेड़ा में एक अनोखा और पारंपरिक दृश्य देखने को मिला. यहां भाईयों ने अपनी बहन का मायरा बैलगाड़ी से भरा, जो एक पारंपरिक तरीका है. इस अवसर पर सजे धजे बैलों ने आकर्षण का केंद्र बने रहे, जबकि पारंपरिक गीतों ने माहौल को संगीतमय बना दिया. यह एक सुंदर और यादगार पल था जिसने सभी को पारंपरिक संस्कृति की याद दिलाई.
 
 

 
 
 
आज के आधुनिक युग में जहां शादियों में लग्जरी गाड़ियों और हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जा रहा है, वहीं भीलवाड़ा का एक परिवार पारंपरिक तरीके को अपनाकर सबको प्रेरित कर रहा है. इस परिवार ने अपनी बहन का मायरा भरने के लिए बैलगाड़ी का उपयोग किया, जो एक पारंपरिक और पौराणिक तरीका है. यह एक अनोखा और प्रेरक उदाहरण है जो हमें अपनी पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों को बनाए रखने की याद दिलाता है.
 
 
 

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भीलवाड़ा जिले के मोटरों का खेड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्र के फांदूं की झोपड़ियां गांव में बहन के घर पर मायरा (भात) भरने के लिए बरूंदनी ग्राम पंचायत क्षेत्र के चाड़ा की झोपड़ियां गांव से भाई बैलगाड़ी से आए. सजे धजे बैलों की घंटियों की गूंजती ध्वनि और घुंघरुओं की रुनझुन से वातावरण संगीतमय हो गया. ग्रामीण महिलाएं पारंपरिक गीतों को गाते हुए और मशक की धुनों पर नृत्य करते हुए पुरानी यादें ताजा कर रहे थे. यह एक अनोखा और रंगीन दृश्य था जिसने सभी को पारंपरिक संस्कृति और ग्रामीण जीवन की याद दिलाई.
 
 

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भीलवाड़ा जिले के मोटरों का खेड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक अनोखा और रंगीन दृश्य देखने को मिला. बरूंदनी ग्राम पंचायत क्षेत्र के चाड़ा की झोपड़ियां गांव से भाई बैलगाड़ी से आए और बहन के घर पर मायरा (भात) भरा. सजे धजे बैलों की घंटियों की गूंजती ध्वनि और घुंघरुओं की रुनझुन से वातावरण संगीतमय हो गया. ग्रामीण महिलाएं पारंपरिक गीतों को गाते हुए और मशक की धुनों पर नृत्य करते हुए पुरानी यादें ताजा कर रहे थे. यह दृश्य पारंपरिक संस्कृति और ग्रामीण जीवन की याद दिलाता है.
 
 
 
 
शादी विवाह में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के बीच कृषक परिवार अपनी प्राचीन परंपराओं को पुनः अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. मोटरों का खेड़ा में एक ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला, जहां भाईयों ने अपनी बहन बरजी बाई के मायरा भरने के लिए पारंपरिक तरीके से नाचते-गाते हुए 1 लाख का मायरा भरने पहुंचे. मोडा गुर्जर, भेरू गुर्जर, विजय राम गुर्जर, कैलाश गुर्जर, बजरंग गुर्जर, शंकर गुर्जर, सीता राम गुर्जर, और राधे श्याम गुर्जर ने इस अवसर पर अपनी पारंपरिक संस्कृति को जीवंत किया.
 
मोडा गुर्जर और भेरू गुर्जर ने पुरानी रीति-रिवाज को फिर से शुरू करने का फैसला किया है. उनका मानना है कि आजकल के दौर में लोग शादियों में फिजूल की खर्ची करते हैं और लग्जरी गाड़ी और हेलीकॉप्टर का उपयोग करते हैं, जिससे यह एक दिखावे की शादी बन जाती है. इसके अलावा, इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. इसलिए, वे बैलगाड़ी के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना चाहते हैं और लोगों से अपील करते हैं कि वे अपनी परंपरा को याद रखें और इसे हमेशा जिंदा रखें.
 
 
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