Mewar Haridwar: भीलवाड़ा जिले, जिसे मेवाड़ के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है, में कई प्राचीन और धार्मिक स्थल हैं जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं. इनमें से एक प्रमुख स्थल है त्रिवेणी संगम, जिसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है. बीगोद में स्थित यह संगम तीन मुख्य नदियों के मिलन का अनोखा स्थल है, जहां पर लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करते हैं. यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है.
त्रिवेणी संगम का धार्मिक महत्व हरिद्वार की तरह माना जाता है, जहां अस्थियों का विसर्जन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसीलिए, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बूंदी और मेवाड़ के अधिकांश गांवों के लोग अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन करने के लिए यहां आते हैं. यहां के पुरोहित भैरूलाल शर्मा ने बताया कि जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूरी पर स्थित बीगोद में त्रिवेणी संगम का यह पवित्र स्थल है, जहां लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन कर मोक्ष की कामना करते हैं.
त्रिवेणी संगम एक पवित्र स्थल है, जहां तीन प्रमुख नदियां - मेनाल, बनास और बेड़च - का मिलन होता है. यह स्थल मेवाड़ के आस-पास के क्षेत्रों और भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, बूंदी जिलों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहां वे अपने परिजनों की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए आते हैं. इस स्थल पर एक 1600 वर्ष पुराना शिव मंदिर भी स्थित है, जो भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण दर्शन स्थल है. मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
स्थानीय लोगों का मानना है कि त्रिवेणी संगम में मृत प्राणी की अस्थियों का विसर्जन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और आत्मा को भी मुक्ति मिलती है. यही कारण है कि इसे मेवाड़ का एक विशेष तीर्थ स्थल माना जाता है. इसकी पवित्रता और धार्मिक महत्व को देखते हुए, इसे मेवाड़ का मिनी हरिद्वार और छोटा पुष्कर भी कहा जाता है, जो इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है.