Rajasthan News: होली के रंगों की आहट अब बीकानेर में गूंजने लगी है. भले ही होली के त्योहार में कुछ दिन बाकी हों, लेकिन यहां के लोग पहले ही इस रंगीन पर्व के जश्न में डूब चुके हैं. राजस्थान के इस रेगिस्तानी शहर में पारंपरिक थंभ पूजन के साथ होली का आगाज हो चुका है. शहर के मंदिरों में भक्ति और रंगों की मस्ती का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है, जहां हर गली-मोहल्ला होली के उत्साह से सराबोर हो चुका है.
बीकानेर अपनी विशिष्ट परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां होली से आठ दिन पहले ही पारंपरिक होली का आरंभ हो जाता है. शहर के पुराने इलाकों में विभिन्न स्थानों पर विशेष थंभ स्थापित किए जाते हैं. इसकी शुरुआत गणेश पूजन से होती है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. मान्यता है कि यह थंभ भगवान नृसिंह से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए खंभे को फाड़कर अवतार लिया था. इसी कारण होलिका दहन से पहले इस थंभ पूजन को शुभ माना जाता है. जैसे ही यह धार्मिक अनुष्ठान पूरा होता है, बीकानेर होली के उल्लास में सराबोर हो जाता है.
भक्ति और परंपरा का यह संगम नागणेची माता मंदिर में भी देखने को मिलता है, जहां होली का विशेष आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर माता नागणेची का विशेष श्रृंगार किया जाता है और लोक कलाकार दुर्गा स्वरूप मानकर होली का आह्वान करते हैं. इसके बाद फूलों से फाग खेलने की परंपरा निभाई जाती है. मंदिर प्रांगण में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे मिलकर भक्तिमय होली का आनंद लेते हैं. इस अवसर पर राधा-कृष्ण स्वरूप नृत्य का मंचन भी किया जाता है, जो श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है.
बीकानेर की यह होली मथुरा-वृंदावन की होली से किसी भी मायने में कम नहीं है. यहां की गलियों में रसियो की मस्ती, भक्ति का रंग और परंपराओं की मिठास देखने को मिलती है, जो हर किसी को इस उत्सव में रंग जाने पर मजबूर कर देती है.
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