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Bikaner News: प्रशासन से विफल वार्ता के बाद तीसरे दिन भी किसानों का धरना जारी, घड़साना में चक्का जाम का किया ऐलान

Bikaner News: बीकानेर के खाजूवाला में सिंचाई पानी की मांग पर किसानों का आंदोलन उग्र! तीन दिन से IGNP की RD 620 पर धरना जारी, घड़साना में चक्का जाम की तैयारी. प्रशासन से वार्ता विफल, किसानों की चेतावनी - समाधान नहीं तो जबरन 620 हैड खोलेंगे! पंजाब गए डेलीगेशन पर टिकी निगाहें.

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Raunak Vyas|Updated: Feb 16, 2025, 01:52 PM IST
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Rajasthan News: बीकानेर के खाजूवाला क्षेत्र में किसानों का सिंचाई पानी को लेकर आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) के प्रथम चरण में किसानों द्वारा दो अतिरिक्त सिंचाई पानी की मांग को लेकर तीसरे दिन भी धरना जारी है. किसानों का कहना है कि सरसों, चना और गेहूं की फसलें बर्बादी के कगार पर हैं, यदि समय रहते उन्हें पानी नहीं मिला, तो उनकी महीनों की मेहनत बेकार चली जाएगी.

घड़साना में चक्का जाम, 620 हैड खोलने की चेतावनी
खाजूवाला क्षेत्र के किसान आज घड़साना में चक्का जाम करने की रणनीति बना चुके हैं. इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिलता दिख रहा है, क्योंकि सिंचाई पानी की समस्या पूरे इलाके के किसानों को प्रभावित कर रही है. IGNP की RD 620 पर किसानों का पड़ाव लगातार जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है. किसानों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो सोमवार दोपहर बाद वे जबरन 620 हैड खोलने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

प्रशासन के साथ वार्ता विफल, अब संभागीय आयुक्त से उम्मीद
किसानों और सिंचाई विभाग व प्रशासन के बीच हुई बातचीत पूरी तरह से विफल हो गई. अब सोमवार को संभागीय आयुक्त से वार्ता प्रस्तावित है, जिससे किसानों को कुछ उम्मीद बनी हुई है. हालांकि, किसान यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि यदि इस बैठक से भी कोई ठोस हल नहीं निकलता, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे.

पंजाब गए डेलीगेशन पर नजरें टिकीं
इस पूरे मामले में पंजाब गए प्रशासनिक अधिकारियों और किसानों के डेलीगेशन की रिपोर्ट अहम मानी जा रही है. इसी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि IGNP का पानी किस तरह आवंटित किया जाएगा. किसानों का कहना है कि वे किसी भी हालत में अपनी फसलें सूखने नहीं देंगे और अगर जरूरत पड़ी तो बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा. स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है और किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संकट का समाधान कैसे निकालता है.

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